________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार-र्यात् // नांदीश्राद्धोत्तरपूर्वोक्तप्रकारेणगृहमध्येमातृकाःस्थापयेत् // ग्रहयज्ञकरणे | भास्कर. // 179 // ग्रहयज्ञांतंकुर्यात् // यदाचोलेनसहोपनयनंक्रियतेतदासंकल्पेचौलोपनयनाख्येक हामणीअहंकरिष्येइत्यूहः // अथपितास्वभ्रात्रादिभ्यःयमलजातकनिष्ठकुमारस्यचू / / डोपनयनादिवाउपनयनादिसंस्कारस्याधिकारंदद्यात् // तद्यथा // आदौगणपतिं / संपूज्य // अथाधिकारदानं // भ्रात्रेममास्ययमलजातकनिष्ठकुमारस्यचूडोपनय नादिवाउपनयनादिसमावर्तनांतसंस्कारकर्माधिकारार्थत्वामहंवणे // भ्रातरंगंध, वस्त्रादिनापूजयेत् // तथाचसंग्रहे // भ्रातरस्यकुमारस्यचूडादिस्नातकावधि ॥सं है स्कारकर्मकरणाधिकारंतेददाम्यहं // 1 // इत्युक्खाकुमारंभातुरुत्संगेदद्यात् // त। द्यथा // गृहीतावक्ष्यमाणमंत्रेणगृण्हीयात् // चूडादिस्नातकांतानिकर्माणितुतवा 8 // 179 // ज्ञया // भ्रातरस्यकुमारस्यकरिष्येहंस्वपुत्रवत् // इतिमंत्रेणकुमारंगृहीत्वाकुंकुमा 000000000 For Private and Personal Use Only