________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसललललल अंत्यरेवती // ईज्यःतिष्यः // चंद्रोमृगशिरः ॥अदितिःपुनर्वसुः॥ उत्तराशब्देनउ त्तरात्रयं // विष्णुत्रयं श्रवणधनिष्ठाशतभिषजः // अश्विनौअश्विनी // मित्रोनुरा आधा // अब्जयोनिभरोहिणीनक्षत्रं // बृहस्पतिः // त्रिपूत्तरेषुरोहिण्याहस्तेमैत्रेचवा सवे // खाष्ट्रेसौम्यपुनर्वस्वोरुत्तमापनायनमिति // वेदविशेषेणनक्षत्रविशेषविधि ज्योतिर्निबंधे // मूलेहस्तत्रयेसापेशैवेपूर्वावयेतथा // ऋग्वेदाध्यायिनांशस्तंमेखला बंधनंबुधैः // पुष्येपुनर्वसौपौष्णेहस्तेमैत्रेशशांकभे // ध्रुवेषुचप्रशस्तस्याद्यजुषांमों आजिबंधनं // पुष्यवासवहस्ताशिवशिवविष्णूत्तरात्रयं // प्रशस्तंमेखलाबंधेबटूनांसाम: वेदिनां // मृगमैत्राश्विनीहस्तरेवत्यदितिवासवं // अथर्ववेदिनांशस्तोभगणोयंव्रता पणेइति // सार्पआश्लेषा // शैआर्द्रा॥ पौष्णरेवती // मैत्रअनुराधा // शशांकों मृगशिरः॥ ध्रुवाणिउत्तरायरोहिणीच // वासवंज्येष्ठा अश्विनौअश्विनी // शिव / Goooo-OOGoooooooooooo For Private and Personal Use Only