________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandi उसक नांप्रीत्यर्थअष्टाष्टसंख्ययाअन्वाहितदेवतानामेकैकयाहुत्यामहाव्याहत्याष्टाविंश तिसंख्ययाचजुहुयात् // शेषेणस्विष्टकृत् // ततोभूराद्यानवाहुतयआज्येन // ततः संस्रवप्राशनादिप्रणीताविमोकांतहोमशेषंसमाप्य // दानानिदद्यात् // तत्रादौसुव / र्णयुक्ततिलपात्रदानं // तिला काश्यपसंभूतास्तिला पापहराःस्मृताः // तिलकांचन दानेनदीर्घायुष्यंददातुमे // 1 // इदंतिलपात्रंसदक्षिणाकंदीर्घायुष्यप्राप्तिकामनया मार्कंडेयाद्यावाहितदेवताप्रीत्यर्थअमुकशर्मणेब्राह्मणायतुभ्यमहंसंप्रददे // घृतपा शिवदानं // आज्यंतैजसमुद्दिष्टंआज्ययज्ञेप्रतिष्ठितं // आज्यपात्रप्रदानेनदीर्घायुष्यं कुरुष्वमे // 1 // इदंआज्यपात्रंसदक्षिणाकंदीर्घायुःश्रीप्राप्तिकामनयाश्रीमार्कंडेया / द्यावाहितदेवताप्रीत्यर्थअमुकशर्मणेब्राह्मणायतुभ्यमहंसंप्रददे // गोदानमपिदद्या शत्॥ततस्तिलशर्करायुतंपयःपिबेत्॥तत्रमंत्रःसतिलंशकरामिश्रमजल्यमितपयः // For Private and Personal Use Only