________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit कारयेच्छिखां // विभागेत्रिकश्यपानांमुंडाश्चभृगवोमताः // पंचचूडाआंगिरस एकावाजसनेयिनामिति // ततःसर्वान्केशान्गोमयपिंडेवस्त्रादिनावेष्टयअनुगुप्तक / वागवांगोष्ठेस्थापयेत् // अथवापल्वलस्योदकांतेउदकसमीपेस्थापयेत् // पल्वलं तडागः // ततश्चूडाकरणसंस्कारकर्तास्त्राचार्यायवरंददाति // वरंगोनिष्कयं ॥स्मृ त्युक्तान्दशसंख्याकान्ब्राह्मणान्भोजयिष्ये // यांतुदेवेतिमातृणांविसर्जनं // इति / संस्कारभास्करेचूडाकरणं // // स्टष्टास्टष्टेशातातपः ॥बालस्याभ्युक्षणंप्रोक्तंशिशो! शराचमनंस्मृतं // रजस्खलादिसंस्पर्शस्नानमेवकुमारके // 1 // याज्ञवल्क्यः // चां/ डालादिषुसंस्पर्शेसचैलेंस्नानमाचरेत् // तोयेनिमज्जनंविनाशुद्धिर्नास्तीनिश्चयः // // 2 // // इतिसंस्कार्यस्यस्टष्टास्टष्टविचारः // ॥अथकर्णवेधः // सौवीराजपु त्रस्यराजतीविप्रवैश्ययोः // शूद्रस्यचायसीसूचीकर्तव्यासूर्यरंध्रयुक् // 1 // कर्ण For Private and Personal Use Only