________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विदीयेत् // अग्नेक्रत्वाक्रतुर // 23 // यत्तैपवित्रमर्चिष्यग्नेविर्ततमन्तुरा // ब्रह्मते / नपुनातुमा // 24 // पर्वमान सोऽअद्य पुवित्रणुविचर्षणितं // यापोतासनातु / मा // 25 // उभाभ्यान्देवसवित पवित्रणसुवेनच // माम्पुंनीहिविश्वतत् // 26 // वैश्वदेवीऍनतीदेव्यागाद्यस्यामिमाबुव्हयस्तन्धोवीतष्ठा // तयामदन्तत्सधुमादें / घुयामुपतयोरयीणाम् ॥२७॥चित्पत्तिर्मापुनातुवाक्पतिर्मापुनातुदेवोमांस / / विताऍनावच्छिद्रेणपवित्रणसूर्यस्यरश्मिभिः // तस्य॑तेपवित्रपतेपवित्रपूतस्ययको / मल्पनेतच्छंकेयम्॥२८॥शिरोमेश्रीर्यशोमुखन्त्विषि केशांश्चश्मश्रूणि // राजमि / प्राणोऽअमृतठ सुम्राट्चक्षुर्विराश्रोत्रम्॥२९॥ जिव्हामभुवामहोमनौमुन्यु:स्वरा / / 900CROREPARGAORad For Private and Personal Use Only