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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir AAAAACroen परिस्तीर्यवाईशानादिपूर्वागृस्त्रिभिस्त्रिभिर्दभैःपरिस्तरणं // तच्चप्रागुदगग्रैःदक्षिणतो / शप्रागणैः॥ प्रत्यगुदगग्रैः॥ उत्तरतःप्रागग्रैः॥अर्थवत्पात्रासादनं // पवित्रच्छेदनादभो || स्त्रयः॥ पवित्रेहे // प्रोक्षणीपात्रं // आज्यस्थाली॥ चरुस्थाली॥ संमार्गकशाःपंच उपयमनकुशाःसप्त // समिधस्तिस्रः // त्रुवः // आज्यं // तंदुलाः पूर्णपात्रेदक्षिणा हावरोवा // पवित्रच्छेदनैःपवित्रकरणं // द्वयोःपवित्रयोरुपरिपवित्रत्रयंनिधाय // योर्मूलेनदौकुशौप्रदक्षिणीकृत्यत्रयाणांमूलाग्रेएकीकृत्यअनामिकांगुष्ठेनद्वयोरग्रंछे / / दयेत् // द्वयोर्मूलंत्रीणिचोत्तरतःक्षिपेत्॥ प्रोक्षणीपात्रेप्रणीतोदकमासिच्यपात्रांतरे। धणचतुर्वारं // वामकरेपवित्राग्रंदक्षिणेमूलंधृत्वामध्यतःपवित्राभ्यामुत्पवनंप्रोक्षणीपा बजलस्येति // प्रोक्षणीनांसव्यहस्तकरणम् // दक्षिणहस्तमुत्तानंकृत्वामध्यमानामि कांगुल्योर्मध्यपर्वभ्यामपामुदिंगनं // प्रणीतोदकेनप्रोक्षणीनांप्रोक्षणं // प्रोक्षण्युद। For Private and Personal Use Only
SR No.020640
Book TitleSanskar Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages530
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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