________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संस्कार- तुदातव्यमितिनिश्चयइतिशांतिमयूखे // // आज्येनव्याहृतीढुवाभूर्भुवःस्वरितिक भास्कर मात् // पंचवारुणकंतद्वदंतेचैवप्रजापतिमितिकारिकायां॥ प्राङ्महाव्याहृतिभिःस्वि | ष्टिकृदन्यच्चेदाज्याडविरितिसूत्रं // // अस्यार्थः // // यत्रहोमेआज्यादन्यहविःस्या / त् // अत्रहविःशब्देनचरुरेवहविः // यत्रचरुःस्यात्तत्रमहाव्याहृतिभिःप्राक्खिष्टक भवति // अन्यत्रांतेपीतिभाष्यकारः // स्विष्टकृद्धोमःसर्वहोमद्रव्यैःकार्यः // लक्ष : होमादौचरुशेषस्यधार्यत्वोक्तेरितिशांतिकमलाकरः // ततआचार्योंनिसमीपउपवि श्यान्वादध्यात् // अथान्वाधानं // यजुषामन्वाधानगोभिलहरिहरगदाधरादि / शभिनॊक्तवात्स्मातेकर्मणिनान्वाधानंतथापिप्रयोगरत्नस्मार्तोल्लासस्मार्वगंगाधर्यादौ , अन्वाधानोक्तेःप्रचुरतरशिष्टाचारप्राप्तत्वाचात्राप्युच्यते // // देशकालौ• अस्मि / 000000000000000 JAAA000000 For Private and Personal Use Only