________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ROC0000000000RRCOpeace ग्भ्यःस्वाहा // 4 // राहोदक्षिणे ॐ भूः आकाशइहा. इ. आका आकाशं आ०॥1 ॐयावाङ्कशामधुमत्यश्विनासुन्तावती // तयायज्ञम्मिमिक्षताम् // 5 // केतोदक्षि णे // ॐभू अश्विनौइ० इ० अश्विभ्यां अश्विनौआ०॥ वस्तोष्पतेप्रतिजानीय / स्मान्स्वावेशोऽअनमीवोभवानः // यत्वेमहेप्रतितन्नोजुषस्वशन्नोभवहिपदेशश्चतुष्प / दे // 1 // उत्तरे ॐ भू० वास्तोष्षतेइ० इ० वा. वास्तोष्पतिआ० // ॐ नहिस्पशुम | विदं ॥२॥उत्तरेॐ५० क्षेत्राधिपतेइ० इ०क्षे० क्षेत्राधिपतिआ० // इतक्रतुसाद् / ण्यदेववताः // अथप्रागादितःपीठसमंताद्दिक्पालानावाहयेत् // त्रातारमिन्द्र० // R // 1 // पूर्वेॐभू० इन्द्रइ.इ.इ० इंद्रआ०॥ ॐ वन्नोऽअग्नेतर्वदेवपायुभिर्मघोनौरक्ष 1 मंगलोत्तरेक्षेत्रपालस्थापनमितिशांतिकमलाकरे॥क्षेत्रस्यपतिनाक्षेत्रपालंस्थाप्य भुजोत्तरे।भुजीमंगलः। For Private and Personal Use Only