________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ORUAGAVACA020 संस्कार- म् // 1 // अमुकगोत्रोत्पन्नःअमुकप्रवरान्वितःअमुकशर्मायजमानोहें // अमुकगोत्रो भास्कर. ॥५१॥त्पन्नंअमुकप्रवरान्वितंशुक्लयजुर्वेदांतर्गतमाध्यंदिनीयशाखाध्यायिनंअमुकशर्माणं ब्राह्मणंअस्मिन्सग्रहमखरजोदर्शनशांत्याख्येकमणिआचार्यत्वेनत्वामहंतणे॥ वृतो स्मि॥गंधादिभिःसंपूज्य॥यथाचतुर्मुखोब्रह्मासर्वलोकपितामहः।तथात्वंममयज्ञेस्मि न्ब्रह्माभवद्विजोत्तम // 1 // ॐ ब्रह्मजज्ञानंप्रथमम्पुरस्ताहिशीमत सुरुचौवेन आव॥ सबुध्न्याऽउपमाऽअस्यविष्टा सुतश्चयोनिमसंतश्श्रुविर्वः // 1 // अस्मिनजोदर्शन / शांत्याख्येकर्मणिब्रह्मत्वेनत्वामहंणे॥ तोस्मि॥वांच्छितार्थफलावाप्त्यैपूजितोसि / MINI // 51 // | 2 टीप- स्वनामगोत्रप्रवरान्संकीर्त्यव्राह्मणस्यच // अस्मिन्यज्ञेमुकंदेवत्वामहंऋत्विजंवृणे॥ इत्युक्त्वा / तुफलंदद्यात्करेतत्रैवपूजनं // इतिकल्पवस्ल्यां // 20000000000 For Private and Personal Use Only