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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संशय तिमिरप्रदीप | प्रश्न- पञ्चामृताभिषेक के करने से लाभ क्या है ? उत्तर- जो लाभ जलाभिषेक के करने से होता है वही लाभ पञ्चामृताभिषेक के करने से भी मानने में कोई हानि नहीं है। यह तो भक्तिमार्ग है। इससे जितनी परिणामों की अधिक शुद्धता होगी उतनाही विशेष पुण्य बन्ध होगा। क्योंकि गृहस्थों का धर्म ही दान पूजादिमय । इन के विना गृहस्थों को परिणामों के निर्मला करने के लिये दूसरा अवलम्बन नहीं है। হব गन्धलेपन हुना जिस तरह पञ्चामृताभिषेक करना शास्त्रों में लिखा है। उसी तरह गन्धलेपन अर्थात् जिन भगवान् के चरणों पर केशर का लगाना भी freखा हुआ है। लिखा हुआ ही नहीं है किन्तु प्रतिष्ठादि क्रियाओं में गन्धलेपनादिकों के बिना प्रतिमाओं में पूज्यता हो नहीं आती । उसो गन्धलेपन के विषय में लोगों का यों कहना है कि : For Private And Personal Use Only देव देव सबही कहें देव न जाने कोय । लेपपुष्प अरु केवड़ा कामोजन के होय ॥ मेटी मुद्रा अवधि सों कुमति कियो कुदेव । विघन अंग जिनबिम्ब को तजै समकितौ सेव ॥ सारांश यह है कि यद्यपि देवत्व की कल्पना सबही
SR No.020639
Book TitleSanshay Timir Pradip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaylal Kasliwal
PublisherSwantroday Karyalay
Publication Year1909
Total Pages197
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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