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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्हद्दास सेठको कथा । annnnnnnons मांस भक्षण करनेसे बक राजाका, मदिरापानसे यादवोंका, वेश्या सेवनसे चारुदत्त सेठका, शिकार खेलनेसे ब्रह्मदत्त राजाका, चोरी करनेसे शिवभूतिका और परस्त्रीके सम्पर्कसे रावणका विनाश हुआ। जब एक एक व्यसनके सेवनसे इनकी यह दशा हुई तो सबके सेवनसे कौन नर विनाशको प्राप्त न होगा? इसके बाद राजाकी आज्ञासे सुभटोंने अंजनचोरको सूली पर चढ़ा दिया । राजाने चारों तरफ कुछ नौकरोंको बैठा कर कह दिया कि देखो, इसके साथ जो कोई बातचीत करे वह राजद्रोही है, और उसके पास चोरीका माल है क्या, यह देखना । इसके बाद उसकी मुझे फौरन सूचना देना। इसी समय जब कि अंजनचोर मूली पर अधमरा लटक रहा था, तब मेरे पिता जिनदत्त मुझको साथ लिए शहर बाहर के सहस्रकूट चैत्यालयमें अभिषेक पूजन और परम गुरु श्रीजिनचन्द्रभट्टारकके चरणोंकी वन्दना करके अपने घरको लौट रहे थे। रास्तेमें अंजनचोर मूली पर लटक रहा था । उसके शरीरसे खून टपक रहा था। प्यासकी व्याकुलतासे उसके प्राण निकलना ही चाहते थे । मैंने उसे देख कर पितासे पूछा-पिताजी, यह मूली पर क्यों चढ़ाया गया ? पिताजीने कहा-बेटा, पहले जो कर्म उपार्जन किये, वे अपना फल दिये बिना कैसे छूट सकते हैं ? चाहे कोई पातालमें प्रवेश कर जाय, स्वर्गमें चला जाय, सुमेरु पर्वत पर For Private And Personal Use Only
SR No.020628
Book TitleSamyaktva Kaumudi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsiram Kavyatirth, Udaylal Kasliwal
PublisherHindi Jain Sahityik Prasarak Karayalay
Publication Year
Total Pages264
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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