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२प्र. २९. ३-५।
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मादयेन च वाखामाखमाशया माय बमामि को सनः Lyr* अानु ला माता ममता मनु पिता न भाता
है 'पमव:' ! यूयं यत्" येन 'मनसा दयेन च' 'प्रथायत' चितां कुरुथ, तदेव 'ब' युमाकं 'ममः' मानसम् प्रय 'सहस्रपाशया" बहुतर-रज्जु-रूपया 'वाचा' विनयवान "वभामि' स्ववशं नयामि ॥ ५ ॥
हे पयो ! देव पैनो च, कर्मणि किमियुक्तं 'त्या' त्वां, 'मामा' बदीय-जननी 'मनु मन्यताम्' देव पिट-कार्य-साधनाय शरीर विसर्जने अनुमति ददातु। 'पिता' त्वतीयजनकः पनुमन्यताम्'। 'भाता धैमानेयादिः त्वदीय: 'अनुमन्यताम्' । 'सगर्भः' मोदरः त्वदीयः 'अनुमन्यताम्' । 'सखा' त्वदीयः अनुमन्यताम्। 'सयूथाः' बदीय-यूथ-चारी अपरापरख "अनुमन्यताम् ॥ ६ ॥
হে পশুসকল! তােমরা সকলে হৃদয়ের সহিত যে মনের দ্বারা ধ্যান করিয়া থাক, তােমাদিগের সেই মানস, অদ্য বিনয় বাক্য স্বরূপ বহুতর রক্ষুদ্বারা বন্ধন করিতেছি पीए सवरा यानिटछि ॥ ४ ।। | হে পশশা ! দৈব, পৈত্র কাৰ্যে বিনিযুক্ত তােমাকে তােমার জননী দেব পিতৃ কাৰ্য্য সাধনের নিমিত্ত শরীর কিসজন করিতে অনুমতি প্রদান করুক, তােমার জনকও অনুমতি • প্রদান করুক, তোমার বৈমাত্রেয়াদি ভ্রাতারাও অনুমতি
५---पशवी देवताः । अनुष्टुप्छन्दः । होमे विनियोगः ! जुहुयात् यत् पशवः प्रध्याय तेति गो. ३,८।
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