________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
RUTOKA Clara
RE
दुनिया क्या है? एक मुसाफिर खाना है।
हर मुसाफिर आता है यहाँ अपना सामान लिए और अटरम-सटरम किया करता है, जब तक कि गाड़ी आती नहीं। गाड़ी ने सीटी दी और सब कुछ छोड़कर नये स्टेशन पर पहुँचने की तैयारी करना पड़ती है, चाहे इच्छा हो या न हो।
लेकिन.....
जब तक इच्छित गाड़ी नहीं आती, उसे अपना सामान संभाल कर रखना पड़ता है। जेब के पीछे जेबकट, सामान के उठाईगिरे और चोर, मक्खियों की तरह भिन-भिनाते हैं तथा कुछ देखी नहीं कि समान गायब। __ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया तो आपको चारों ओर से तारीफ के पुलंदे भेंट में मिलेंगे और ध्यान नहीं रहा तो नौ-दो ग्याहर हो गए तो उपदेशों के बाण आपकी
ओर हर कोई दागने लग जाता है- ध्यान रखना चाहिए भाई साहब! सामान का सामान गया और इज्जत का पंचनामा बना, सो अलग। 'घर हान जगत हँसी।'
बस!
यही हुआ, बिहार सरकार भी १८ सालों से मक्खी की तरह भिन-भिना रही थी- सम्मैतशिखरजी के चारों ओर। चन्दन के पेड़ पर जैसे कोई नाग लिपटने की कोशिश करते हैं। सरकार का लालफिताशाही भी पारसनाथ हिल्स को फाइलों में बन्द करने की कोशिश कर रहा था। अजगर ने एक श्वास में राम और लक्ष्मण को उदरस्थ कर लिया था और बिहार सरकार ने एक आदेश में सारे पर्वत को निगल लिया। चोर, सामान उठाकर रसीद भी नहीं देता। बिहार सरकार भी पर्वत हड़पकर टस-से-मस नहीं होना चाहती। जैन समाज, एक भोलीभाली, जिसे न किसी से कुछ लेना और न किसी का कुछ देना, न दंगा मचाना आता है न हुड़तंग करना आता है। यदि उसके हृदय में कुछ किसी के प्रति तो, वह मात्र करुणा, दया, प्रेम
और सद्भाव ही है। यही उसका अपराध माना गया, यही उसकी कमजोरी मानी गई और यही उसका तकु कसुर जाना गया।
बस क्या था।
For Private And Personal