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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री सुपार्श्वप्रभु के शासन में उद्योतन नगर के राजा उद्योतक ने चारण मुनि के उपदेश से उद्धार करवाया था। श्री चन्दाप्रभु के शासन में पुंडरीक के राजा ललित दत्त ने उद्धार करवाया था। श्री सुविधिनाथ के समय में श्रीपुर नगर के हेमप्रभराजा ने इस तीर्थ का उद्धार करवाया था। श्री शीतलनाथ के समय में मालवा के भद्दिलपुर नगर के राजा मेघरथ ने उद्धार करवाया था। श्री श्रेयांस प्रभु के शासन में मालवा के बालनगर के राजा आनंद सेन ने उद्धार करवाया था। श्री विमलनाथजी के शासन में पूर्व महाविदेह की कनकावती नगरी के राजा चन्द्रशेखर ने उद्धार करवाया था। श्री अनन्तनाथ भगवान के समय में कोशांबी नगरी के राजा बालसेन ने भी विद्याचारण मुनि के उपदेश से इस तीर्थ का उद्धार करवाया था। ___ श्री धर्मनाथ प्रभु के समय में मासोपवासी श्री धर्मघोषसूरि के उपदेश से श्रापुः नगर के राजा भवदत्त ने उद्धार करवाया था। श्री शांतिनाथ भगवान के समय में चक्रायुध गणधर के उपदेश से मित्रपा ने राजा सुदर्शन द्वारा इस तीर्थ का उद्धार करवाया गया था। श्री कुंथुनाथजी भगवान के समय में वत्स देशस्थ शालीभद्र नगर क ग । देवधर ने उद्धार करवाया था। __ श्री अरनाथ शासन में भद्रपुर के राजा आनन्दसेन ने गरूड़ यक्ष की प्रेरणा से इस तीर्थ का उद्धार करवाया था। श्री मल्लीनाथ भगवान के शासन में कलिंग देशस्थ श्रीपुर के राजा अमरदेव ने उद्धार करवाया था। श्री मुनिसुव्रतस्वामी के समय में रत्नपुरी नगर के राजा सोमदेव ने इस तीर्थ का उद्धार करवाया था। श्री नमीनाथ के समय में श्रीपुर के राजा मेघदत्त ने इस तीर्थ का उद्धार करवाया था। श्री पार्श्वनाथ प्रभु के समय में आनन्द देश के राजा प्रभसेन ने वीसस्थानक तप करके आचार्य दिनकर सूरि के उपदेश से इस तीर्थ का उद्धार किया था। इसके ३२ For Private And Personal
SR No.020622
Book TitleSammetshikhar Jain Maha Tirth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayprabhvijay
PublisherRajendra Pravachan Karyalay
Publication Year1994
Total Pages71
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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