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පපය: කපපපපපශු
पत्र नं.३ ieee:ee:geeos
इस संसार समुद्र में गोते खाने वाले जीवों को केवल जिनागम ही नौका है। उसका जिन भव्य प्राणियों ने आश्रय लिया है वे अवश्य एक दिन पार होंगे। आपने लिखा कि हम मोक्ष मार्ग प्रकाश की दो प्रति भेजते हैं सो स्वीकार करना, भला ऐसा कौन होगा जो इसे स्वीकार न करे। कोई तीव्र कषायी ही ऐसी उत्तम वस्तु अनंगीकार करे तो करे परंतु हमतो शतसः धन्यवाद देते हुये आपकी भेंट को स्वीकार करते हैं। परंतु क्या करें निरंतर इसी चिन्ता में रहते हैं कि कब ऐसा शुभ समय आवे जो वास्तव में हम इसके पात्र हों अभी हम इसके पात्र नहीं हुये अन्यथा तुच्छ सी तुच्छ बातों में नाना कल्पनायें करते हुये दुखी न होते । अब भाई साहब जहां तक बनें हमारा और आपका मुख्य कर्तव्य रागादिक के दूर करने का ही निरंतर रहना चाहिये। क्योंकि आगम ज्ञान और श्रद्धा से बिना संयतत्व भाव के मोक्षमार्ग की सिद्धि नहीं अतः सब प्रयत्न
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