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शुयशुद्धिपत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्धि प्रस्तावना ७ ९ उपदेश को उपदेशके, ग्रन्थ २ १० ज्योत ज्योति २ ११ मे तु समुल्लसति ये तु समुल्लसंति २ ११ पृथग्लक्षणाः पृथग्लक्षणा२ १६ ये मेरे भिन्न लक्षण ये जो भिन्न लक्षण वाले नाना भाव वाले नाना प्रकार के
भाव २ १७-१८ मेरे भाव परद्रव्य हैं परद्रव्य हैं । ३ ८ कहा है। कहा है३ ११ मप्पणे परिगहं तु मप्पणे णो परिगहंतु ४ १० छिज्जदु छिजदु वा ६ ८ ऐसा मरण ऐसे मरण ६ ९ मातास्तन मातास्तन्य ६ १३ मात्र भी अपेक्षा मात्र भी आप अपेक्षा ६ १६ करना है। अब उसी करना उचित है । तथा
ज्ञान शास्त्र उसी ज्ञान शस्त्र ७ ४ निमित्त बली तर्क निमित्ति को प्रधान
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