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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घौंचा चकन उदा० फूलन के बिबिध हार, घोरिलिन अोरमत में लगाया जाता है। उदार । -केशव । उदा० पायन तें घींचा गिरि गये। भूषन तें धौंचा-संज्ञा, पु, देश-] झम्बा, तारों का फिरि दूषन भाए। -केशव गुच्छा जो सुन्दरता के लिये कपड़ों या प्राभूषणों चंग-संज्ञा, पु० [?] १. गंजीफे के पाठ रंगों में । २. चहचही पहल चहूँघा चारु चंदन की एक रंग २. पतंग ३. डफ के आकार का एक चन्द्रक चुनीन चौक चौकनि चढ़ी है बाजा [फा० संज्ञा, स्त्री०]। प्राब । -पष्माकर उदा० १. उठी गँजीका खेलते, चंद्रातप-संज्ञा, पु० [सं०] चंद्रि का, चाँदनी २. लखि प्रीतम को रंग । चॅदोवा, वितान । चली अली कहि नहि, |-उदा० हिमगिरिबर दव सौ परसियो । हमै प्रावति वासा चंग। -तोष | __ चंद्रातप तन सौ दरसियौ ।। चंदन-संज्ञा, पु० [सं० चंद्रिकाएँ] मोर पंख की ---केशव चंद्रिकाएँ। चंगेरी-संज्ञा, स्त्री० [सं० चगोरिक] फूल रखने उदा० मोर के चंदन मौर बन्यौ दिन दूलह है- की डलिया २. बाँस की छिछली डलिया। अली नंद को नंदन । - रसखानि उदा० चौसर चमेली के चगेरिन में चनियत हीरन चंदपलान- संज्ञा, पू० [सं० चन्द्र + पाषाण के कंडल जड़ाऊ करें धकि-धकि ।-ग्वाल चन्द्रमणि, चंद्र प्रकाश से द्रवित होने वाली एक चक-संज्ञा, पु० [सं० चक्षु] चक्षु, नेत्र २. चक्रमणि, चन्द्रकान्तमरिण । वाक पक्षी । उदा० चंद-उदौ लखि लोचन त्वै चले चंदपखान । उदा० चक-चकवान को चुकाए चक चोटन सों. से चंदेमुखी के । -कुमारमणि चकित चकोर चकचौंधी सों चकै गई । -देव चन्दबधू-संज्ञा, स्त्री० [सं० चन्द्रबधु| बीरबधटी, चकचक--वि० [अनु॰] दीप्त, कांतिमान । एक प्रकार का लाल कीड़ा जो बरसात में दिखाई उदा० बकबक सुनि-मुनि प्रकबक भूलि गयो चकपड़ता है। चक सौतिन की छाती मई धकधक । उदा० चन्दबधू जावक लिलार कहि पाए हौ । --तोष - सोमनाथ चकचकाना-क्रि० प्र० अनु०] भीग जाना. चन्दुक-संज्ञा, पु० [सं० चन्द्रक] १. कर्पूर, २. 1 आर्द्र होना । चाँदनी। उदा० चख चकित चित्त चरबीन चुभि चकचकाइ उदा. १. शशिनाथ तरंगनि करनि सो, चंडिय रहत । -पद्माकर कालिंदी चित भाइकै । चकचौहट-संज्ञा, पु. [हिं० चकचौंह] चकाचौंध । सित चन्दुक चूर समान दिय, उदा० बेनी प्रवीन लग्यो चकचौहट, चोहट मांझ तट- बालुका बिछाइके। बिलोकि सकै क्यों। --बेनीप्रवीन -सोमनाथ । चकन--संज्ञा, पु० [सं० चक्र] गुल चाँदनी नामक चंद्रक-संज्ञा, पु० [सं०] १. मोर पंख की आँख | पुष्प । २. चंद्रमा ३. चाँदनी ४. कपूर । | उदा० कमल गुलाब चकन की सैना । उदा० १. सिर सुभ चंद्रक धर, परम दिगंबर होत प्रफुल्लित नव तिय नैना । मानो हर अहिराज धरे। -केशव । -पद्माकर For Private and Personal Use Only
SR No.020608
Book TitleRitikavya Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKishorilal
PublisherSmruti Prakashan
Publication Year1976
Total Pages256
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size21 MB
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