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घौंचा
चकन
उदा० फूलन के बिबिध हार, घोरिलिन अोरमत में लगाया जाता है। उदार ।
-केशव । उदा० पायन तें घींचा गिरि गये। भूषन तें धौंचा-संज्ञा, पु, देश-] झम्बा, तारों का
फिरि दूषन भाए।
-केशव गुच्छा जो सुन्दरता के लिये कपड़ों या प्राभूषणों
चंग-संज्ञा, पु० [?] १. गंजीफे के पाठ रंगों में । २. चहचही पहल चहूँघा चारु चंदन की एक रंग २. पतंग ३. डफ के आकार का एक
चन्द्रक चुनीन चौक चौकनि चढ़ी है बाजा [फा० संज्ञा, स्त्री०]।
प्राब ।
-पष्माकर उदा० १. उठी गँजीका खेलते,
चंद्रातप-संज्ञा, पु० [सं०] चंद्रि का, चाँदनी २. लखि प्रीतम को रंग ।
चॅदोवा, वितान । चली अली कहि नहि,
|-उदा० हिमगिरिबर दव सौ परसियो । हमै प्रावति वासा चंग। -तोष |
__ चंद्रातप तन सौ दरसियौ ।। चंदन-संज्ञा, पु० [सं० चंद्रिकाएँ] मोर पंख की
---केशव चंद्रिकाएँ।
चंगेरी-संज्ञा, स्त्री० [सं० चगोरिक] फूल रखने उदा० मोर के चंदन मौर बन्यौ दिन दूलह है- की डलिया २. बाँस की छिछली डलिया। अली नंद को नंदन ।
- रसखानि उदा० चौसर चमेली के चगेरिन में चनियत हीरन चंदपलान- संज्ञा, पू० [सं० चन्द्र + पाषाण
के कंडल जड़ाऊ करें धकि-धकि ।-ग्वाल चन्द्रमणि, चंद्र प्रकाश से द्रवित होने वाली एक
चक-संज्ञा, पु० [सं० चक्षु] चक्षु, नेत्र २. चक्रमणि, चन्द्रकान्तमरिण ।
वाक पक्षी । उदा० चंद-उदौ लखि लोचन त्वै चले चंदपखान । उदा० चक-चकवान को चुकाए चक चोटन सों. से चंदेमुखी के ।
-कुमारमणि चकित चकोर चकचौंधी सों चकै गई ।
-देव चन्दबधू-संज्ञा, स्त्री० [सं० चन्द्रबधु| बीरबधटी,
चकचक--वि० [अनु॰] दीप्त, कांतिमान । एक प्रकार का लाल कीड़ा जो बरसात में दिखाई
उदा० बकबक सुनि-मुनि प्रकबक भूलि गयो चकपड़ता है।
चक सौतिन की छाती मई धकधक । उदा० चन्दबधू जावक लिलार कहि पाए हौ ।
--तोष - सोमनाथ
चकचकाना-क्रि० प्र० अनु०] भीग जाना. चन्दुक-संज्ञा, पु० [सं० चन्द्रक] १. कर्पूर, २. 1
आर्द्र होना । चाँदनी।
उदा० चख चकित चित्त चरबीन चुभि चकचकाइ उदा. १. शशिनाथ तरंगनि करनि सो,
चंडिय रहत ।
-पद्माकर कालिंदी चित भाइकै ।
चकचौहट-संज्ञा, पु. [हिं० चकचौंह] चकाचौंध । सित चन्दुक चूर समान दिय,
उदा० बेनी प्रवीन लग्यो चकचौहट, चोहट मांझ तट- बालुका बिछाइके।
बिलोकि सकै क्यों।
--बेनीप्रवीन -सोमनाथ ।
चकन--संज्ञा, पु० [सं० चक्र] गुल चाँदनी नामक चंद्रक-संज्ञा, पु० [सं०] १. मोर पंख की आँख | पुष्प । २. चंद्रमा ३. चाँदनी ४. कपूर ।
| उदा० कमल गुलाब चकन की सैना । उदा० १. सिर सुभ चंद्रक धर, परम दिगंबर
होत प्रफुल्लित नव तिय नैना । मानो हर अहिराज धरे। -केशव ।
-पद्माकर
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