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बुरी
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वारों न अथैयाँ कहूँ जाट खुभराने हौ ।.
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खुरी – संज्ञा, स्त्री [सं० तुर = उस्तरा ] छूरी, अस्तुरा |
ग्वाल
उदा० देवकों की सेवकी न सेवकी पिता की करी नाइनसुता की भली गाँठ सी खुरी लगी । खुसी - - संज्ञा, पु० [अ० खुस्या] अंडकोष, फोता । उदा० कनौती खुसी सीखड़ी खूब छोटी । नुकीली नचै सी कला के जु कोटी ।
खूट प्रव्य, [सं० खंड ] ओर, तरफ उदा० दौरि चढ़ि ऊँट फरियाद चहूँ खूट
।
-पद्माकर
कूटना - क्रि० सं० [सं० खंडन ] कम हो जाना, समाप्त होना २. टोकना । उदा० जाति भई सँग जाति लै कीरति, 'केसव' है कुल सहित लूट्यो । -केशव खू जो
-संज्ञा, पु० [सं० कुब्जक ] एक प्रकार का पुष्प, एक जंगली पौधा । उदा० आए बालम हे सखी लिए खुजे को फूल । - मतिराम
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कियो । -भूषण
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खुमरी -संज्ञा, पु० [ ? ] एक पक्षी । उदा० चक्रवाक खंजन पपीहा मैना चांडूल दहिये दरेवा खूब खूमरी बिकानी है । - बोधा खेट -संज्ञा, पु० [सं०] १. एक प्रकार का अस्त्र २. खेड़ा ३. घोड़ा ४. ढाल ५. शिकार ।
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उदा
१. समर अमेठी के सरोस गुरुदत्त सिंह सादत की सेना पर बाहे खग्ग खेटे हैं -कबीन्द्र खेदान – संज्ञा, स्त्री [हिं खोदना ] खान, वह गड्ढा जो किसी वस्तु को निकालने के लिए खोदा जाता है ।
उदा० बनन में, बागन में, जमुना किनारन में, खेतन खदान में खराब होत डोली मैं ।
ग्वाल
खेरा संज्ञा, पु० [सं० बेट, हिं खेड़ा] छोटा - गाँव, खेड़ा । कहें देखिये को
उदा० गोगृह काज गुवालन के कहे दूरि को बेरो।
खेवा - संज्ञा, पु० [हिं० खेना ] नाव पार करने की क्रिया । उदा० तात-मात वाहन सुता श्रौ सुत
-पद्माकर
द्वारा नदी
बनिताहू
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खोलना
भानजे भतीजे साथ चले हैं न खेवा पं । ग्वाल -संज्ञा, स्त्री [ देश० ] लाई, धान की खील ।
खोई
उदा० प्रॉब छाँड़ि प्रबरी को काहे लागि छोय कोक, खीर छापीए खोई खाए खाइगो । — गंग खोगरी - सज्ञा, पु० [फा० खुगीर ] वह ऊनी वस्त्र जो घोड़ों के चारजामे के नीचे लगाया जाता है । उदा० कारी औ पीरी कछूक है भूरी बुरी सो खोगीर सी दाढ़ी हलावे ।
--- -श्रज्ञात
-संज्ञा स्त्री० [हिं० [कों] भोली, कछ उदा० चातिक चित कृपा घन श्रानन्द चोंच की खोंच सु क्यौं करि धारौं | त्यौं रतनाकर दान-समै बुधि जीरन चीर कहा लं पसारों ।
-घनानन्द
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अ०
खोझ संज्ञा स्त्री [हिं० खोज] चिह्न, निशान । उदा० यौवन अंकुर खोभु सुहाइ न धाय सो पांय -देव ध्रुवावन लागी । खोंट -संज्ञा, स्त्री० [हिं० खोंटना ] घाव पर पड़ी पपड़ी, खरोंट, चोट का दाग । उदा० सूखन देति न सरसई खोंटि-खोटि खत खोंट । - बिहारी खोपना -- क्रि० [देश० ] घुसना, प्रवेश करना । उदा० चहुँघा चकित चंचरीकनि की चारु चौंप देख 'सेख' राती कोंप छाती खोंप जाति है । खोभ संज्ञा, पु० [देश०] कांटा । उदा० मन मरकट के पग खुभ्यौ निपट निरादर खोभ । बिहारी खोम-संज्ञा, पु० [अ० कौम ] समूह, झुंड । उदा० खलन के खेरन खबीसन के खोम हैं ।
आलम
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खुड,
खोलना - क्रि० अ० [सं० दूर करना, मुक्त करना । उदा० प्रति श्रादर सों ते सभा
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- भूषण खोरि-संज्ञा स्त्री [हिं० खोट] दोष, क्रोट कोप, नाराजगी ।
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उदा० सास व्रत ठानै नन्द बोलत सयाने धाइ, दौरि दौरि माने-जाने खोरि देवतान की । रसखानि खुल भेदन] महँ बोल्यी बहु
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