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अंगछ-संज्ञा, पु० [षडंग] षडंग, वेद के छः
३. गोरी अँगेठि अडीठि सी डीठि सुपैठि अंग-शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द
रह यो मन पीठ पनारी । -गंग तथा ज्योतिष ।
अंगोटना-क्रि० स० [सं० अग्र+हिं० ओट] उदा० अंग छबि लीन उति धुनि सुनिय न
- घेरना, छेकना । मुख लागी अब लार है न नाकहू कौं
उदा० हाथ मैं मालती माल लिये चली भीतर ज्ञान है।
ताहि गोसांइ अँगोटी ।
-बोधा ___ सेनापति
अइलाना-क्रि० अ० [हिं० ऐंडाना] ऐंडाना, अंचक-क्रि० वि० [हिं० अचानक] अचानक, टेढ़ा होना। सहसा, एकबारगी ।
उदा० जो तुम होह बड़े घर को उदा० अरु इक बंधु परोसति थारी ।
अइलात कहा हो, जगात न दैहौ। चली अंचकै उठि नव नारी ॥
-रसखानि -सोमनाथ
अऊलना-क्रि० अ० [सं० उल्- जलना] १. अन्तरभाव--संज्ञा, पू० [सं० भावान्तर] भावा
ग्रौलना, जलना, गरम होना २. छिलना, छिदना न्तर, भिन्नता, -अन्तर्भाव ।।
आन्-अच्छी तरह शुलन] उदा० कछु पुनि अन्तरभाव तें कही नायिका जाहि
उदा० छत आजु की देखि कहाँगी कहा छतिया बिना नियम सब तियन में सुन्यो कबीसन
निति पैसे अऊलति है। -रघुनाथ पाहि । -दास
प्रकनना-क्रि० स० [सं० प्राकान] कान लगा अंकावना-क्रि० स० [सं० अंकन] जाँच कर
कर सुनना, प्राहट लेना। वाना, मूल्यांकन करवाना।
उदा० अकनि अकनि रन परसपर, असिप्रहार उदा० प्रेम बजार के अन्तर सो पर नैन दलाल
झनकार ।
-दास अंकावने है।
-ठाकुर प्रकलैंनि--संज्ञा, स्त्री [हिं० अकेला] अनन्य अखांगी-वि० [सं० प्र+हिं० खाँगी=खडित] प्रेमिका, एकाकी साधिका । _ अखंडित, निरन्तर, लगातार ।
उदा, कान्ह परे बहुतायत मैं अकिलैनि की बेदन उदा० जाके मुख सामुहे भयोई जी चहत मुख,
जानौ कहा तुम।
-घनानन्द लीन्हो सो नवाइ डीठि पगनि अखाँगी री।
अकस-संज्ञा, स्त्री [फा० अक्स-उलटा] बैर, -पद्माकर
शत्रु ता । अंगेट-वि० [सं० अंग इष्ट] चुस्त, अंग के | उदा० मनु ससिसेखर की प्रकस किम सेखर सत लिए जितना उपयुक्त है।
चंद।
—बिहारी उदा० गाढ़ी अंगेट गढ़े से खएनि में, प्रकसीर-संज्ञा, स्त्री [अं०] १. रसायन, कीमिया ठाढ़े उरोजनि ठाढ़ी लज हैं ।-गंग
२. अत्यंत गुणकारी । अंगेठी-वि० [सं० अंग+ इष्ट] १. चुस्त २.
उदा० ग्वाल कवि गोरी द्रग तीर के. तसीर के स अत्यंत सुंदर ३.अंगदीप्ति ।
मोद मिलें जैसे अकसीर के, खमीरके । उदा० १. पातरी अंगठी ऑगी अंगहू सों लागी रहे ।
-ग्वाल -आलम प्रकाथ-क्रि० वि० [सं० अकार्यार्थ, हिं० २. कौल के से पात नैन पातरी अंगेठी है। अकारथ] ब्यर्थ, निष्प्रयोजन, वृथा।
-पालम ] उदा० फेरि फिरन कों कान्ह कत करत
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