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तुका
(
११७ )
-सोमनाथ ।
-बोधा बुंद तुंद दंदि के प्रवीन बेनी बरसत सरसत तुरी-संज्ञा, पु० [अ०] कलगी, पगड़ी में लगाये
मदन बदन मुंदि रहै को। -बेनी प्रवीन | जाने वाला पखं । तुका-संज्ञा, पु० [फा०] बिना फल का तीर, उदा० सोहे पाग जरकसी तुर्रा।
-बोधा वह तीर जिसमें गाँसी की जगह पुंडी होती है।
मान दैक तोरा तुर्रा सिर पै सपूती को। उदा० गाड़े ह रहे ही सहे सन्मुख तुकानि लीक ।
-पद्माकर -दास तुरुराना-क्रि० अ० [सं० तुर] घबराना, पातुर काम के तुका से फूल डोलि डोलिडार, | होना । मन औरे किये डार ये कदंबन की डारै री। । उदा० अनमनी बानि पहिचानि पति सौमनाथ,
-कवीन्द्र
बिनती करत जब जीभ तुरुरानी री । तुझाना-क्रि० स० [?] छोड़ाना, दूर करना
- सोमनाथ उदा. नित बोलि प्रमी रस पान करै यह कान के तुलही- संज्ञा, स्त्री० [सं० तुला] तुला, तराजू । __ बान तुझावैरों को।
-रघुनाथ उदा० कपोल ज्यों प्रेम पला तुलही के। - देव तुठी-संज्ञा, स्त्री० [सं तुष्टि] तुष्टि, प्रसन्नता । तुलाई-संज्ञा, स्त्री० [सं० तूल] रजाई, सौड़ । उदा० पूछत या हित सों तुम सों चित सों हहा उदा० तपन तेज, तपु-ताप तपि अतुल तुलाई दीजै बताय तुठी मैं ।
--वाल माह।
-बिहारी तुति-संज्ञा, स्त्री० [सं० स्तुति] स्तुति ।। तुख-संज्ञा, पु० [सं० तुष सींक, तिनके का उदा. यह सुनि विरंचि ने सुख सु पाइ । तुति टुकड़ा। करी ईस की हित बढ़ाइ।
उदा० तीखी दीठि तूख सी, पतूख सी अरुरि अंग, -सोमनाथ
ऊख सी मरूरि मुख, लागत महूख सी। तुन--संज्ञा, पु० [सं० तुन] एक विशाल वृक्ष
-देव जिसके फूलों से बसंती रंग निकलता है। तूचह-संज्ञा, पु० [सं० त्वचा] त्वचा, चर्म । उदा. पोऊ रहे हेरि मोहि मैह उन्है हेरि रही उदा० तूचह मन तजि जमपुरी बसै सो स्वप्न ह्व रहे चकित दोउ ठाढ़े तरे तुन के ।
बखानि ।
-रसलीन -रघुनाथ तूटना-क्रि० प्र० [सं० तोट] टूटना, नष्ट होना, तुपक-संज्ञा, स्त्री० [तु० तोप] एक प्रकार की
छूटना । छोटी तोप ।
उदा० अरु तुम कमलजोनि से छूटी । श्राप ताप उदा० लिए तुपक जरजार जमूरे ।
कौ सासौ तंटौ।
---जसवंतसिंह -चन्द्र शेखर तूती संज्ञा, स्त्री० [फा०] १. छोटी जाति का तुफंग-संज्ञा, स्त्री० [तु.] हवाई बंदूक ।
तोता २. मटमैले रंग की एक छोटी तथा सुन्दर उदा० तोमर तबल तुफङ्ग दाव लुट्टियो तिही चिड़िया ।
-सूदन | उदा० काम की दूती पढ़ावत तूती चढ़ी पग जूती तुर-क्रि० वि० [सं० आतुर] जल्दी, शीघ्र।
बनात लपेटा ।
-देव उदा० हरष सों पागे महालगन की सिद्धि पाइ
भारथ अकर कर तूतिन निहारि लही, प्रागे राह रोकी जाइ अति गति तुरसों।
यातें घनस्याम लाल तोते बाज पाए री। -रघुनाथ
- दास तुरमती-संज्ञा, स्त्री० [तु० तुरमता] बाज की तूदा-संज्ञा, पु० [फा०] राशि, ढेर, समूह । माँति एक शिकारी चिड़िया ।
उदा० ज्यों ज्यों मोरन को कहति मोर पक्षधर उदा० तुरमती तहखाने तीतर गुसुलखाने सूकर
लाल । काम खाक तूदा करत त्यों त्यों हनि सिलहखाने कूकत करीस हैं
-भूषण शर जाल ।
-नंदराम तुराय-क्रि० वि० [सं० स्वरा] तेजी से, स्वरा तून-संज्ञा, पु० [सं० तूरण] . तूण, तरकश, वेग से, झोंके से।
वाण रखने का चोंगा २. तृण। उदा० बिरह बारि बाढ़ी नदिया चली तुराय।। उदा. जाहिर जोर प्रमा दरस सरस तिनतें छवि मोरो नबो जीवन बिरवा उखरि न जाय ।। काम के तून की।
-प्रतापसाहि
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