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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 211 APPENDIX II.--continued. सर्वशास्त्रार्थतत्त्वज्ञं सिद्धमित्रजगद्गुरुं ॥ ३९॥ श्रीहरिवंशदेव तच्छिष्यं विद्यापयोनिधि ॥ वंदेहं भक्तपं भूमावनाचारप्रणाशनं ॥ ४० ॥ श्रीमन्नारायणं देवं वंदे तच्छिष्यमंडनं ।। नरराजगुरुं श्रीशं ध्रुवं भक्तारिभंडनं ।। ४१ ॥ तच्छिष्य वल्लभं वंदे श्रीमढुंदावनं सुरं ।। निंबादित्यस्वरूपं च भक्तभूपं सतां गुरुं ॥ ४२ ॥ पठेद्यो वै महाभक्त आचार्यवेदनामिमां ।। तस्य लोके परे वापि भाक्तिविघ्नं [नो न जायते ।। ॐ तत्सदिति श्रीसर्वाचार्यभगवलिंबादित्यपदाधिराजश्रीवृंदावनदेवपट्टालंकारश्रीगोविंददेवेन कृती श्रीआचार्यवंदनास्तव(वः) समाप्त(प्रः) ।। (B). 375-38 1. List in Hindi. हरिगुरुस्तवमालायामाचार्यनामरत्नावलीस्तवः __ ३७,३८ पत्रस्थमिदं. आदि श्री हंसरूपि नारायण १ तिनके शिष्य श्री सनकादि २ तिनके शिष्य श्री नारदजू ३ तिनके शिष्य श्री निंबादित्यज ४ तिनके शिष्य श्री श्रीनिवासाचार्यजू ५ तिनके शिष्य श्री विश्वाचार्यजू ६ तिनके शिष्य श्री पुरुषोत्तमाचार्यजू ७ तिनके शिष्य श्री विलासाचार्य ८ तिनके शिष्य श्री स्वरूपाचार्यजू ९ तिनके शिष्य श्री माधवाचार्य न १० तिनके शिष्य श्री बलभद्राचार्यजू ११ तिनके शिष्य श्री पद्माचार्यजू १२ तिनके शिष्य श्री श्यामाचार्य १३ तिनके शिष्य श्री गोपालाचार्यज १४ तिनके शिष्य श्री कृपाचार्यजू १५ तिनके शिष्य श्री देवाचार्यजू १६ तिनके शिष्य श्री सुंदरभट्टजू १७ तिनके शिष्य श्री पद्मनाभभट्टजू १८ तिनके शिष्य श्री उपेंद्रभट्टजू १९ तिनके शिष्य श्री रामचंद्रभट्ट २० तिनके शिष्य श्री वामनभदृज २१ तिनके शिष्य श्री कृष्णभट्टज २२ तिनके शिष्य श्री पद्माकरभहजू २३ तिनके शिष्य श्री श्रवणभट्टज २४ तिनके शिष्य श्री भू For Private and Personal Use Only
SR No.020607
Book TitleReport On Search For Sanskrit MSS Year 1882 1883
Original Sutra AuthorN/A
AuthorR G Bhandarkar
PublisherGovernment Central Book Depot
Publication Year1884
Total Pages235
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size10 MB
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