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विस्तृत विवेचन सहित
पंव परिवर्तन का ही नाम
परिवर्तन के नाम से कहा गया है । संसार है । द्रव्य, क्षेत्र, काल, भव और भाव ये पाँच परिवर्तन के भेद हैं । द्रव्य परिवर्तन के नोकर्म द्रव्यपरिवर्तन और कर्मद्रव्य परिवर्तन ये दो भेद हैं ।
नोकर्म द्रव्यपरिवर्तन किसी जीव ने एक समय में तीन शरीर औदारिक, वैक्रियिक और आहारक तथा छः पर्याप्तियोंआहार, शरीर, इन्द्रिय, स्वासोच्छवास, भाषा और मन के योग्य स्निग्ध, वर्ण, रस, गन्ध आदि गुणों से युक्त पुद्गल परमाणुओं को तीव्र, मन्द या मध्यम भावों से ग्रहण किया और दूसरे समय में छोड़ा | पश्चात् अनन्त बार अग्रहीत, ग्रहीत और मिश्र परमाणुओं को ग्रहण करता गया और छोड़ता गया । अनन्तर वही जीव उन्हीं स्निग्ध आदि गुणों से युक्त उन्हीं तीव्र आदि भावों से उन्हीं पुद्गल परमाणुओं को श्रदारिक, वैकयिक और आहारक इन तीन शरीर और छ: पर्याप्त रूप से ग्रहण करता है तब नोकर्म द्रव्यपरिवर्तन होता है ।
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एक जीव ने एक समय में आठ कर्म रूप से किसी प्रकार के पुद्गल परमाणुओं को ग्रहण किया और एक समय अधिक अवधि प्रमाण काल के बाद उनकी निर्जरा करदी | नोकर्म द्रव्य परिवर्तन के समान फिर वही जीव उन्हीं परमाणुओं को उन्हीं