SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 609
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२८ रणपिंगळ. समवृत्त. बृद्धिं कमाइंडकं प्रत्युपतीह पादे यदेकादिरेफेण चांभोलि हेलीफ़ूलीमानलीकेलिलीलाविलासादयः (न+ल+२०२) नगणने एक लघु उपर आठ रगण लाववाथी पन्नगेन्द्र दंडक थायछे अने. त्यार पछी अकेको रगण वधारवाथी अंभोली(१४७९), हेली (१६००), धूली (१९०४), मातली (१९०७), कलि (१५०८),लीला(१५२३),विलास(१५१६)आदि दंडक थायछे. आ बंने ग्रंथोना जूदाजूदा कथनथी भ्रांति थाय एवं छे, केमके छंदोवृत्तमुक्तावलीमा न+ग+८र अने छंदोलतामां न+ल+(र ना प्रारंभथी भेद बतावेछे अने तेनां नाममां पण अवळसवळ फेरफार थइ गयो छे, परंतु मकरालयना झूमखामां न+ग+र आवेछे तेथी छंदोवृत्त मुक्तावलीनो अभिप्राय, बीनां सबळ प्रमाणने अभावे अमे मान्य राख्यो छे. १४४६, चंद्र २८ गुरु वर्ण. चंद्रे आवेछे अठ्ठावीशे वर्णो पादे ने पादे पूरेपूरा ओछो आवेछे उद्दाले. अहावीश करतां एक वर्ण ओछो राखिथे तो उद्दाल (१४३४) थइ जाय माटे आ दंडकनो प्रारंभ अठाविश अक्षरथी करवो उचित छे. १४४७ ललित. २८ लघु वर्ण. ललित चरण पर लघु तु वरण कुल विश पर वसु धर कविवर! जो सत्ताविश. अक्षरथी प्रारंभिये तो अचलदंडक थइ जायछे, जुओ अंक १४४१. आठ गण अने लघु गुरुना मिश्रणथी थता दंडक. १४४८ अनंग शेखर, महीधर. १४ ल ग=२८ वर्ण.. अनंगशेखरे रचाय चौद लाग सामटा बधा गणाय वर्ण वीश आठ तो. १ महीधर नाम छंदःप्रदीप अने छदःप्रभाकरमा १४ ल गर्नु जणाव्यु छे. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy