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रणपिंगळ.
समवृत्त.
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१४३७ कुसुमस्तबक', कुसुमास्तरण. ९स=२७ वर्ण नव सा गण शोभित तो सनजो कुसुमस्तबके प्रतिपाद विषे समजी.
१ छंदोबोध तथा कान्वल्लभ. छंदःप्रभाकरमां स यथेच्छ अने छंदोवृत्तमुक्तावलीमा १२ सतुं उदाहरण छे. १४३८ दाम.
९त=२७ वर्ण, छे तागणो खंड सर्वे मळी पादपादे बधा दाममा वर्ण सत्ताविशेथाय.
उदाहरण १२ तगणनुं छे. २४३९ वितान.
९ज=२७ वर्ण. वितान विषे जगणो नव थाय पदेपदमां कुल वीश.अने हय वर्ण.
उदाहरण १२ जगणनुं छे, १४४० वर्तुल.
९भ=२७ वर्ण. वर्तुल दंडकमांह पदेपद छे नव भा गणना विश ने हय अक्षर.
उदाहरण १२ भ गणनुं छे. १४४१ अचल.
९न=२७ वर्ण. नव तु नगण धर चरण चरण पर विश हय कुल कर अचल.
उपर प्रमाणे मय रस तजभन ए गणना दंडक थइ रह्या बाकी गल ना रह्या ते जुवो अंक १४४६ तथा १४४७ १४४२ सुधाधार.
४+३त+२भ=२७ वर्ण. चार भ उपर छे त्रण तागण तेनी परे तुं सुधाधारमाह भबे कर. १४४३ दिनकर.
१भ+<न=२७ वर्ण. एक भगण पर वसु तु न गण धर दिनकर चरण चरण रच. १४४४ सौममाला. ४जर+ज=२७ वर्ण. तेमां ९,८ यति. जराजराजराजराज, सौममालमा विराम, तो नवेज आठ वर्ण धार,
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