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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२६ रणपिंगळ. समवृत्त. wvvvvvvvvvvwww १४३७ कुसुमस्तबक', कुसुमास्तरण. ९स=२७ वर्ण नव सा गण शोभित तो सनजो कुसुमस्तबके प्रतिपाद विषे समजी. १ छंदोबोध तथा कान्वल्लभ. छंदःप्रभाकरमां स यथेच्छ अने छंदोवृत्तमुक्तावलीमा १२ सतुं उदाहरण छे. १४३८ दाम. ९त=२७ वर्ण, छे तागणो खंड सर्वे मळी पादपादे बधा दाममा वर्ण सत्ताविशेथाय. उदाहरण १२ तगणनुं छे. २४३९ वितान. ९ज=२७ वर्ण. वितान विषे जगणो नव थाय पदेपदमां कुल वीश.अने हय वर्ण. उदाहरण १२ जगणनुं छे, १४४० वर्तुल. ९भ=२७ वर्ण. वर्तुल दंडकमांह पदेपद छे नव भा गणना विश ने हय अक्षर. उदाहरण १२ भ गणनुं छे. १४४१ अचल. ९न=२७ वर्ण. नव तु नगण धर चरण चरण पर विश हय कुल कर अचल. उपर प्रमाणे मय रस तजभन ए गणना दंडक थइ रह्या बाकी गल ना रह्या ते जुवो अंक १४४६ तथा १४४७ १४४२ सुधाधार. ४+३त+२भ=२७ वर्ण. चार भ उपर छे त्रण तागण तेनी परे तुं सुधाधारमाह भबे कर. १४४३ दिनकर. १भ+<न=२७ वर्ण. एक भगण पर वसु तु न गण धर दिनकर चरण चरण रच. १४४४ सौममाला. ४जर+ज=२७ वर्ण. तेमां ९,८ यति. जराजराजराजराज, सौममालमा विराम, तो नवेज आठ वर्ण धार, For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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