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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २०४ रणपिंगळ. ____३४ छठवीश मात्रानी विषमपद जाति. चौद मात्रानो टेक. १६+१०ना यतिथी छव्वीश मात्रानां पांच चरण करकां. ४+३+४+३ =१४मात्रानी टेक. १, ५, ८, १२ मात्राए ताल. २+३+४+३+४=१६ मात्रा,तेमां ३, ६, १०.१३ मात्राए ताल. ३+४+३ =१० मात्रा तेमां १, ४, ८ मात्राए ताल. २+३+४+३+४, ३+४+३=२६ मात्रा, एवां पांच चरण. टेके चौद कल बी थाय,-- कल सोळ ने दश विरति वाळां, पाद पांच रचाय; कुल कला छन्वीश थाय चरणे, एम रच कविराय! त्रण पछी त्रणने चार चडता, ताल क्रमों अणाय; रचि पांच तुक ए रीतिथी पण, टेक पछिी गणाय; कल छब्बीशनो विषमपद ए, छंद कविवर गाय. टेके चौद कल बधी थाय. २१२ ३५ सत्तावीश मात्रानी विषमपद जाति. ४+३+४+३=१४ मात्रानो टेक, तेमां १,६,८,१२ मात्राए ताल. (४+४+४+४=)१६+(४+४+३=)११=२७ एवां पांच चरण, तेमां अनुक्रमे १,५,९,१३ अने १,५,९ मात्राए ताल. दशने चार कलनो टेक,सोळ शिवे धरि विरति चरणे, सत्ताविश कल नेक; एक शरे नव तेरे तालो, एक शरे नव ठेक; सत्तावीश विषम पद छंदे, एम विवेक जणाय; For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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