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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रणपिंगळ. मागधी पिंगळमां तथा पिंगळछंदोग्रंथमां "गाहिणि' नाम आप्यु छे. ने तेना नीचे प्रमाणे भेद कर्या छे: १० रंगा २८ ल + १ गु.-३० २ भंगा २८ ल + २ गु.-३२ ३ रोहिणि २८ ल + ३ गु.-३४ ४ रामा २८ ल + ४ गु.=३६ •प्रमदागीति आदि लइने उपर प्रमाणे. ११ भेद गीतिना थया, :तथा आर्याना पथ्यादि १६ भेद जे प्रथम कह्या छे, तेनुं परस्पर संमिलन थबाथी १६४११=१७६ भेद थायछे. __वळी उपर जे. (१) गीति, (२) उपमीति; (३) उद्गीति, (४) आर्यागीति, ए गीतिना चार भेद कह्याछे, तेनी साथे पथ्यादि १६ भेदनुं संमिलन थतां. ४४१६६४ रूप थाय छे, आ६४ रूपमा उपर लखेला १७६ भेद मेळवतां २४० जातना गीतिना प्रकार थायछे; आमां वळी शुद्ध आर्याना १६ मेद थायछे ते मेळविये तो २४०+१६=२५६ भेद थायछे... १५१ कंदका, स्कंधक, खंधा, खंधान, खंधो.. प्र० ४+४+४; ४+४+४+४+४=१२+२०=३२ द्वि०४+४+४, ४+४+४+४+४=१२-२०=३२ चोकलिया गण वसु कर, प्रतिदल बारे वॉशे विरति धरौने तो स्कंधक, खंधा ने वळी, काइ कहे कंदका खरे एने तो. १६९ १ छंदोरत्नावलीमा १४, १३ ए प्रमाणे यति अने ३१ मात्रानुं एक चरण करवा केहेछे.. २ आ नाम "भगवत् पिंगळ" वगेरेमा के. ३ आ नाम मागधी छंदःशतकमां छे. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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