SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir mama प्रस्तावना. अने ए माटे जोइतां कोष्टको विगेरे आ रणपिंगलंना बीजा भागमां आपवामां आव्यां छे: जे छंदनुं नाम पिंगलमां न मळे, ते छंदने गाथा केहेवी एम पूर्वाचार्योनो आदेश छे ने ते श्रीमद्भागवत्मां तेवा छंदो वापरी केटलेक अंशे प्राचीन कविओए जाळव्यो पण छे; तोपण प्रस्तार विधिये केटलाक नवीन चंद बनेछे तेमने ए प्रमाणे सामान्य गाथा नाम आपवानी अगत्य सर्व कवियोए गणी नथी, अने नवा छंदने नवां नाम आप्यां छे; तेथी में पण मारा मनना वलणने वश थइ केटलाक छंदने रणशूर, खेंगारवृत्त, मनसुख इत्यादि मनगमतां नामो आपेल छे अने बाकीनां नामो पूर्वाचार्योए जे कल्पेला छे ते ज स्वीकार्या छे. __ आ रणपिंगल तैयार करवामां जे जे संस्कृत, हिन्दी अने गूजराती ग्रंथोनो आशय लेवामां आव्यो छे ते ग्रंथो कया कया छे ए छंदःशास्त्रना अभ्यासीने जाणवानी अगत्य होता तेमन नामवार लिष्ट आ नाचे आपीये छिये. रणपिंगल तैयार करवा माटे जोवामां आवेला ग्रंथोनी यादी. १ यजुर्वेद, महीधरभाष्योपेत. २ यजुर्वेद सर्वानुक्रमणिसूत्र. कात्यायन. ३ ऋग्वेद सायणभाष्योपेत. ४ वेदार्थयत्न मासिक. ५ सामवेद आर्चक. ६ ऋग्वेद सर्वानुक्रमसूत्र. शौनक. ७ अथर्ववेद सायणभाष्य. ८ अथर्ववेद सर्वानुक्रमसूत्र. ९ सुवृत्ततिलक. प्रकाशेन्द्र पुत्र क्षेमेन्द्र. १० शब्दकल्पद्रुम. For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy