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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना. नामनी नीचे केटली केटली मात्राना टुकडा लाववा तेनी संख्या मूकवामां आवेल छे. मात्रिक छंदमां अमुक ताल अमुक मात्राए लाववो अने ते लाववामां अमुक मात्रा तेनी साथे न आवी जाय एम केटलेक ठेकाणे खास जरुर जणायाथी लख. वामां आवेल छे. आ विधि सर्वत्र योजायाथी सघळा प्रकारनी तालबद्ध छंदोरचना थाय तेम छे अने टगणादिथी नवा नियमे लक्षणो बांधी शकाय तेम छे; तेथी आ कार्य पूरुं थतां ज मात्रिक गणबद्ध नविन रचना करवानी में धारणा राखी छे. कवित अने मनहरने घणा लोको एकन मानता आवछे अने तेनी रचना बधा वर्णमेळ छंदने अनुसरीने करवामां आक्छे. आम करवामां तेओ केटले दरजे भूलावामां पडछे, ते आ मथालाना छंदतळे आपेला लांबा लेखथी वांचनारने स्पष्ट जाणवामां आवशे. अने कवितमा पण तालादि नियम जाळववा माटे केटली काळनी राखवानी अगत्यछे, ते पण स्पष्ट जणाइ रेहेशे. मात्रिक प्रकरणमां कोइ पण गूजराती पिंगलमां न आवेल एवा गलितक अने शिखानातिना भेद अने वृत्त प्रकरणमां अर्द्धसम अने विषम वृत्तना संकीर्ण अने असंकीर्ण एवा छंदना जेटला छंदो थाथछे तेनुं विगतवार वर्णन क्रमवार आपवामां आव्युं छे. ___ मात्रा प्रकरणमा एकथी आरंभी अनेक मात्रा पर्यंतना छंदोना केटला भेद अथवा वृत्ति थइ शकेले, ते तथा अमुक संख्यानी वृत्ति अथवा भेद क्रमवार केटला गुरु अथवा लघु वर्णनी थाय, ए तरत समजाय अने तेवो छंद रचवामां कविने सुगमता मळे; एटला माटे संख्या, प्रस्तार, सूची, नष्ट, उदिष्ट, मेरु, पताका, अने मर्कटी आदि प्रकरणो पाडी ते केम साधवा, अने तेनो उपयोग केम करवो, एनी रीति, उदाहरणो For Private And Personal Use Only
SR No.020597
Book TitleRanpingal Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRanchodbhai Udayram
PublisherKutchh Darbari Mudrayantra
Publication Year1902
Total Pages723
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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