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*श्री
प्राक कथन
यह स्पष्ट होचुका है कि किसी समय में यह आर्यवर्त भरतखण्ड समस्त विद्याओं में सर्वोपरी था और आज दिन भी युरोप देश के जो सभ्यता में प्रथम है, बड़े २ विद्वानों ने इस देश की विद्याओं से बोहतसा लाभ उठाया है और मान प्रशंसा करते हैं । उनहीं विद्याओं में की एक राज विद्या का जो राज्य करने की विद्या है, सात आठ हजार वर्षों से लोप होना श्री मद्भगवदगीता के चौथे अध्याय मे साबित है और नवमें अध्याय में भी थोड़ा वर्णन है वही ये विद्या अत्यन्त पारे श्रम मे अब मर्माण मिली है । इस विद्या प्रचार के समय में क्षत्रियाँ का राज्य समस्त भूमण्डल में था। इसको प्रचार करने के लिये बोहत से बड़े २ उच्च श्रेणी के
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