________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
राजविद्या । [४८] विवाहमेक्यम् परस्पर स्नेह प्रीति सहा.
य्यम स्वदेशमातृ भमौ प्रीतिः शुभ चित्र संगमः द्वैः प्राज्ञैः सज्जनः
सहः सभा सम्मतिः प्रीति मातृभाषास्वदेश शुद्ध भोजनम् सहवीरवेषम् प्रजानां हितमिच्छता सुखशान्त्यारो. ग्यता सम्पदा समृद्धिच सम्वद्धनम् उपयोगीचराचरमपि
भाषार्थ श्रीमत्परमपवित्र सोम पाठ १ राज्य सम्भवः राज्य के योग होना यही क्षत्रियों के ३६ छतीश लक्षण है शुद्ध भावना से मनुष्य के शरीर की प्राप्ती है तिसमें विचारशक्ति विशेष है विचारश. क्तिको चर और बुद्धि का शुद्ध ज्ञानको प्राप्तीहै ।
महादेवी प्रश्न करती है-राज्य कोन करता है
For Private And Personal Use Only