________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
राजविधा।
स्थितिः संपति वृधि भूति रायुश्च वृध्यर्थम् । विचारानंताऽव्ययम् तान्सर्वान् अवश्यकतानुसार मुमति बलेन संप्रसा रणम् । निरर्थक न किश्चिदपि विधेयम् सा विचार शक्तिः महान्बलम् । स्वार्थ रूपा सुरं वा दुर्मतिः रूप पिशाच निजित्वा सर्वान साधयति वा 5 यथा ते उभो बलेन प्रेषयतः निर्यम् ॥
নবাগ
क्षत्रियां के भूदाय विभाग में विवाद (झगडा) पेदा होणे में भूमि का भाग देण में न्याय आठ प्रकार से कहा जाता है । सामन्तों की प्रजागणों में सभ्य व्यक्ति जनों की सम्मति हो अधिक सम्मति ( राय ) यां से न्याय समाप्त हो वादी प्रति वादीया की राज विद्या ज्ञान की जिस के अनुसार वल बुद्धियां को योग्यत्ता से चार सभा
For Private And Personal Use Only