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राजविद्या। कर्मचारी अपने अपने कार्यों में प्रीति रखते हुवे जिनसे गजहित, प्रजाहित होवे और प्रजा विलाप रहित तरको के योग्य है । राजा प्रति सइकड़े प्रजाओं की पांच सिकायते कर्मचारियों के लिये माफ करने योग्य है इससे उपरांत कठिन दण्ड अवश्य ही देवे।
राजा ब्याक्तगत सेवकातिरिक्ता सर्वे राज्यकर्मचारयः प्रजा सेवकोच्यते ते सर्वे प्रजाषु सुखशान्तिः स्थित्यर्थम् तथैव सेना पक्षाथम् यदि वैकल्पमापतेत् तर्हि तऽयोग्या संख्या विसृजनिया तेषांस्थानेऽन्यासुयोग्या नियोक्तब्या राज्ञां परमोधर्मः वाऽन्यथा राज्यापराधिकारे प्रजायते ॥
भाषार्थ राजा के निज सेवकों के सिवाय राज कर्मचारी प्रजा सेवक कहे जाते है वे सब प्रजा के
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