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(छ) जगदारम्भ से आपके घराणों में राज्य चला ही
आरहा है इतना पायदार और प्राचीन राज्यकुल (खान्दान ) सृष्ठि में अन्य कहीं नहीं है। आप प्रजा वात्सल्य सदाचार परम्परा की मर्यादा पूर्वक पुत्रवत प्रजा पालनादि दिव्य दैविक गुण सम्पन्न है इसी वास्ते हम सब आपके वास्ते तन मन धन और प्राणों से सर्वथा तत्पर कटिवध हैं।
२-आपके विद्यानुराग से आज उस विद्या के दर्शण का सु अवसर प्राप्त है जिसके प्रभाव से आप ही के धराणों में पूर्वज क्षत्रिय राजा समस्त पृथिवी मण्डल में राज्य करते थे । ये अद्वितीय विद्या आप हो के घराणों की है, इस से समानता रखने वाली अन्य कोइ विद्या नहीं है इसलिये जगदारम्स में आप के ही वंश में राजा सूर्यमनु इक्ष्वाकु आदिकों ने इसको सर्वोपरी विद्या नही है इसी के प्रभाव से अनुभवी शोल राजा सच्चा न्याय करने में समर्थ होते थे। प्रत्येक वार्ता को यथावत जानना बड़ा भारी
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