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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १२४ वनत्रपुसी ४३५ ः चम्पकः वनदमनः - दमः वनदीप:बनधेनुः—बलीवर्दः वनपिप्पली-वनादिपिप्पली वनपुष्पा – शतपुष्पा वनपुष्पोत्सव:: - आम्रः वनपूरक:--वनबीजपूरक: वनप्रियम् — त्वक् वनप्रियः -- मृगः वनबर्बर:- शालुकः वनबर्बरिका—सुमुखः वजवीजपूरक: १७४ वनबीजः –वनबीजपूरकः वनभूषण: - कोकिलः वनभूषणी - कोकिलः वनमक्षिका — दंश: वनमक्षिका मक्षिका वनमल्लिका—ग्रैष्मी वनमालिका — ग्रैष्मी वनमालिनी – गृष्टि: वनमालिनी — ग्रैष्मी वनमाली — ग्रैष्मी वनमुद्गः --- मकुष्ठका वनमुद्रः---मकुष्टः धन्वन्तरीयनिघण्टुराजनिघण्टुस्थशब्दानां वनमुद्रा मुद्रपर्णी वनमूर्धजा - शृङ्गी वनमेथिका —— मेथिका वनमोचा --- काष्ठकदली वनरम्भा ४२९ वनरम्भा — गिरिकदली वनलक्ष्मीः कदली वनवल्लभा — निश्रोणिका वनवल्लरी- निःश्रेणिका वनवासकः शाल्मलीकन्दः वनवासी--ऋषभः वनवासी काकः वनवासी——-गृष्टिः वनवासी- मुष्ककः www.kobatirth.org | वनवासी— शाल्मलीकन्दः | वनवासी— शुभ्रालुः | वनविलासिनी — शङ्खपुष्पी वनवृन्ताकी—बृहती | वनशालिः — व्रीहिः | वनशृङ्गाटकः – क्षुद्रगोक्षुरः |वनशृङ्गाट: ४३५ | वनशृङ्गाटिका ४३५ वन सूरिका — कपिकच्छूः | वनस्था— अत्यम्लपर्णी वनस्था — पिप्पली | वनस्पतिः वटः | वनस्पती-वृक्षः वनहरिद्रा-शोली | वनहासः - कुन्दः वनम् काननम् |वनम् - कान्तारः | वनम् — पानीयम् वनादिपिप्पली ८६ | वनाभिधा पूर्वा-वनादिपिप्पली वनाम्रः — क्षुद्रात्रः | वनायुज :- घोट : | वनाईका पेऊ वनिता—स्त्री | वनेज्य:- राजाम्रः | वनेष्ट : राजाम्रः | वनोद्भवः – निलः | वनोद्भवा - अरण्यकार्पासी | वनोद्भवामुद्रपर्णी | वनोद्भवा --- वनबीजपूरकः | वनौकाः मर्कटः "" " बन्दका १५३ वन्दनीयम् —दधि | वन्दनीय : – पीतशृङ्गराज: वन्दनीया — रोचना वन्दाकदूर्वा ४३४ वन्दाक:- वन्दका | वन्दाका ४३१ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only | वन्दाङ्कः ४३२ विन्ध्यकर्कोटकी ४४ वन्ध्यकर्कोटी -- कर्कोटकी | वन्ध्यः — अवकेशी वन्ध्या ३९५ वन्ध्याकर्कोटकी ४३०, ४३१,४३२ | वन्ध्याकर्कोटी ४२९ | वन्ध्यापुत्रप्रदा — वन्ध्यकर्कोटकी | वन्ध्या—वन्ध्यकर्कोटकी | वन्यकार्पासः ४२६ वन्यकार्पासी ४३५ वन्यजीरः — बृहत्पाली वन्यदमन: दमः | वन्यदेशः — मशक : वन्यवृक्षः – पिप्पलः वन्यम् त्वक् | वन्यम् — परिपेलम् | वन्यः — अर्शोघ्नः वन्यः- दृष्टिः वन्यः – बलीवर्दः वन्यः- - महानल: वन्या - गन्धपलाश: | वन्या - गोपालकर्कटी वन्या - चूडामणिः वन्या - दीप्या | वन्या - मिश्रेया वन्या—मुद्रपर्णी वन्या–मुस्ता 'वन्यारिष्टा - शोली वपा - मेदः वपुः - शरीरम् | वपुः स्रवः -- रसः | वमथुः वमिः वमनः शणः | वमनी - जलूका वमनी - दंशः वमनी— मक्षिका वमनी - शणपुष्पी 'वमायिनी - अङ्गारवल्लिका
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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