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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पलल: ४३६ पलम् ४२८, ४३६ पलम् - आमिषम् पलम् - औषधप्रमाणम् पलंकषः – कणगुग्गुलुः पलंकषा ४३९ पलंकषा - क्षुद्रगोक्षुर : पलंकषा - गुग्गुलुः पलंकषा - निष्पावः पलंकषा—महाश्रावणिका पलंकषा -- लाक्षा पलम् - पलादयः पलम् - विघटिकादयः पलाण्डुः १४८, ४२३ पलाण्डुः ४३२ पलाण्ड्वन्तरम् ४२९ पलादयः ४१५ पलाशक: ---- ब्रह्मवृक्षः पलाशगन्धा ८१ पलाशपर्णी - अश्वगन्धा पलाशलोहिता ३५३ पलाशम् — तमालपत्रम् पलाशम् – पर्णम् पलाशः ४२७,४३८ पलाश :- किंशुकः पलाश: पत्रकः पलाशः – पुष्करम् पलाश: – पूर्वा ३२७ पलाश:- -मघा ३२७ पलाश: -- याज्ञिकः पलाशः -- वक्रपुष्पम् पलाशः - विप्रप्रिया पलाश - शढी पलाशाख्या–नाडी हिङ्गुः पलाशा—-नाडीहिङ्गः पलाशान्ता - गन्धपलाशः पलाशिकः ४२३ पलाशिक: ४२८ पलाशिका - पलाशी www.kobatirth.org वर्णानुक्रमणिका । | पलाशिका - शदी पलाशिनी पद्मिनी पलाशी ३३३ | पलाशी - लाक्षा | पलितम् ४०० पलितम् ४२७ | पलितम् —मरिचम् | पलितम् — शैलेयम् | पल्लवदुः - अशोकः पल्लवम् – पल्लवः पल्लवः ३२६ पलव:- मत्स्यः पलिका – पल्ली पल्लिवाह: ३६२ पल्ली ४०३ | पल्वलावास : कच्छपः पवनः -- मज्जरः पवनः वायुः पवनी–वनबीजपूरक: | पवनेष्टः - निम्बः पवमानः वायुः | पवित्रकः -- उदुम्बरः | पवित्रकः -- दमनम् पवित्रकः – पिप्पल : | पवित्रकः— मृदुदर्भः पवित्रधान्यम् -- अक्षता पवित्रम् ४३१ पवित्रम् — घृतम् पवित्रम् -- मधु पवित्रः पुत्रजीवः | पवित्राद्यम् —— कालीयकम् पवित्रा — पिप्पल: पवित्रा - हरिद्रा पविः – हीरकम् पशुमोहिनिका -कद्वी पशुलोहितपः- -मशकः पशु:-- छागल: पशु:-भेंड: पश्चिमवातगुणाः ४१८ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | पश्चिमवातः ४१८ पश्चिमा ४९८ पा. पाकजम् ४०९ |पाकलम्— कुष्ठम् | पाकः - बालसामान्यनामानि पाक: त्रीहिः | पाक्यजम् — नीलकाचोद्भवम् | पाक्यम् ४२३ पाक्यम् ४३९ पाक्य:- यवक्षारः पाची ३७१ पाटलम् कतृणम् पाटल: ४३१ | पाटल:- पुंनाग: पाटला २९ पाटला ४२८, ४३६,४३७,४३९, |पाटला—शालि: पाटल:- मुष्ककः पाटली ३४३ पाटली ४२६,४२७,४३० | पाटलापुष्पवर्णकः - पद्मकः --पद्मकः पाटला पुष्प संनिभम्पाटला—- व्रीहिः | पाटली—कटभी पाटली-काष्ठपाटला पाटली - पाटला पाटलीपुष्पम् ४३६ पाटली -- सितपाटलि: ७९ पाटवम्— कुशलम् पाटवम् — कुष्ठम् | पाठवार्ता - गोराटिका पाठा २० पाठा ४३३,४३९ | पाठिका पाठा पाठिका पाठा | पाठिनः - चित्रकः ४३९
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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