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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra व्यर्थाः ४२७ त्र्यत्रफला - सल्लकी त्र्यख:- व्याघ्रनखम् त्र्यत्रा - वार्षिकी यत्रा—-शुक्रभाण्डी व्याहिकाः द्वंद्वजाः त्र्यूषणम् — त्रिकटुकम् त्व. त्वक् ७९,२८५ त्वक ४३७,४३८ त्वक्क्षीरी वंशरोचना त्वक्तरङ्गक:- बली त्वक्—वल्कलम् त्वक् विषभेदः त्वक्शिरोधिजा - नाडी त्वक्सारभेदिनी — क्षुद्रचञ्चुः त्वक्सार:- वंश: त्वक्सार: शण: त्वक्सारा-- वंशरोचना वक् (त्वग्वालुकापर्णः ) -- अश्म- दग्धिका — दग्धा न्तकः | दण्डकन्दकः -- धरणीकन्दः लक्सुगन्ध:- नारङ्गः त्वक् सुगन्धा— भद्वैला त्वग्रर्मिः—बली त्वग्गन्धः --- नारङ्गः लग्जम्-रक्तम् त्वग्जम् — रोम त्वग्दोषम् — कुष्ठम् त्वग्दोषः -- दुश्चर्मा त्वग्दोषारिः --- हस्तिकन्दः त्वचम् ४३०, ४३० त्वचम् त्वक् त्वचा ४२८ त्वचिः ४२९ त्वष्टा - ब्राह्मी www.kobatirth.org वाट्म्— ताम्रम् लिट्- आतपादयः द. दक्षः -- कुकुटः वर्णानुक्रमणिका । दक्षः -- पण्डितनामानि दक्षिणवातगुणाः ४१८ दक्षिणवातः ४१८ दक्षिणा ४१८ दक्षिणायनम् ४१७ | दक्षिणावर्त की वृश्चिकाली | दक्षिणावर्तफला - ऋद्धिः | दक्षिणावर्ता -- अजगृङ्गी | दग्धरुहः- तिलक : दग्धरुहा दग्धा | दग्धम् — शालिपर्णीविशेषः दग्धा ३६६ दण्डवृक्षकः-स्रुक् दण्डहस्ती ४३५ दण्डहस्ती - तगरम् | दण्ड - आस्कन्धा दण्ड : मानम् ४१८ दण्डाहतम् - मथितदधि दण्डी - दमनम् दद्रुघ्नः ४३१ दद्रुघ्न: - चक्रमर्दः दगुणः – रोगिविशेषनामानि | ददुनाशिनी – तैलकीटः ददुवाः—गोधूमः | दद्रुहस्तम्-तगरम् | दद्रुकार्श: लकुचः दधि २४३ दधि ४३३,४३७ | दधि--- कपित्थः | दधिजम्-नवनीतम् दधित्थ:-- कपित्थः | दधिपुष्पिका ४२९ | दधिपुष्पिका - अश्वक्षुरकः दधिपुष्पी ३६ | दधिफल:- कपित्थ: | दधिभवम् - नवनीतम् | दधिभेदकः ४२९ For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दधिमण्डोद्भवम्-नवनीतम् दधि—–श्रीवेष्टकः | दध्यम्लम् — मथितदधि दन्तकाष्टकम् - आहुल्यम् | दन्तकाष्ठ: - विकङ्कतः दन्तधावन:- -खदिर: | दन्तधावनः --- गुच्छकर अः | दन्तफल:- पिप्पली | दन्तफला- पिप्पली दन्तबीजक :- दाडिम: | दन्तवीजा क्षीर तुम्बी दन्तमूलम् —दन्तार्बुदः | दन्तवत्रम् - ओष्ट : | दन्तवासः - ओष्टः दन्तशठः ४२७ | दन्तशठ: ४३७ | दन्तशठः - कपित्थ: दन्तशठ: - जम्बीर: दन्तशठा ४३७ | दन्तशठा -- क्षुद्राम्लिका | दन्तशोथ :- दन्तार्बुदः | दन्तशोधनी- कृष्णः | दन्तहर्षणः- जम्बीर: | दन्तः ३९६ | दन्तः ४३२ | दन्ताघातः--- निम्बूकः | दन्तायुधः — सूकरः दन्तार्बुदः ४०८ | दन्तावल:- हस्ती ६१ | दन्ताः - दन्तः | दन्तिनी--दन्ती | दन्तिनीबीजम् — रेचकः | दन्तिमद:- हस्तिमदः | दन्ती ५३ दन्ती ४२७,४३२, ४३५, ४४० दन्ती-अरणी दन्ती-करः | दन्ती - केशरुहा | दन्तीबीजम् - रेचकः
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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