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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४ क्षीरपर्णी ४२१ क्षीरपर्णी अर्क : क्षीरपुष्पी ४३५ क्षीरभूरुहम्— ताम्रम् क्षीरमधुरा-क्षीरकाकोली क्षीरमोरट: - मौरव: क्षीरयवः - दुग्ध पाषाणः क्षीरलता-क्षीरविदारी क्षीरवली- क्षीरविदारी क्षीरविदारी ३५ क्षीरविदारी--क्षीरकाकोली क्षीरविषाणिका - क्षीरकाकोली क्षीरविषाणिका - वृश्चिकाली धन्वन्तरीयनिघण्डुराजनिघण्टुस्थशब्दानां - क्षीरिणी-क्षीरी | क्षुद्रपत्री ४३५ क्षीरिणी - मञ्जिष्टा | क्षुद्रपर्णः - कुठेरकः क्षीरी १८७ क्षीरी ४४० क्षीरी—अर्क: | क्षुद्रपाषाणभेदा-चतुष्पत्री क्षुद्रपिप्पली-वनादिपिप्पली क्षुद्रपोतिका - मूलपोती क्षीरी - गोधूमः क्षीरी - दुग्धपाषाणः क्षीरी-प्रक्षः क्षीरी - वटः क्षीरी मुक् क्षीरवृक्षः ४३६ क्षीरवृक्ष:- उदुम्बरः क्षीरवृक्षः क्षीरी क्षीरशीर्षः श्रीवेष्टक: क्षीरशुक्लक:-क्षीरी क्षीरशुक्ल : - क्षीरी क्षीरशुक्ला - क्षीरकाकोली क्षीर शुक्ला - क्षीरविदारी क्षीरश्रेष्ठः पुष्करम् क्षीरस्राव :- श्रीवेष्टकः क्षीरम् ४२६,४३६ क्षीरम् -- दुग्धम् क्षीरम् -- पानीयम् क्षीरम् - पेयम् क्षीरम् - विषभेद: क्षीर:- श्रीवेष्टक: क्षीरा - काकोली क्षीरादिनामकम् —पलाशगन्धा www.kobatirth.org क्षीरिका ४३६ क्षीरिका- क्षीरी क्षीरिका —— त्रीहिः क्षीरिणी ५६, ४२३ क्षारिणी ४४० क्षारिणी -- काश्मर्य: क्षीरिणी—कुटुम्बिनी क्षीरिणी - क्षीर तुम्बी क्षतम् ४०८ | क्षुतम् ४२६ क्षुत्-क्षतम् क्षुद्रकण्टा कण्टकारी | क्षुद्रकण्टारिका-अग्निदमनी क्षुद्रकटिका --- कण्टकारी | क्षुद्रकारलिका— कुडुहुखी | क्षुद्रकोरवली-कुडदुबी | क्षुद्रकुलिशम् — वैक्रान्तम् " " | क्षुद्रक्षुर :- क्षुद्रगोक्षुरक: क्षुद्रखदिर: ४२७ क्षुद्रखदिर:- विट्खदिर: क्षुद्रग्रधी-चीरिः क्षुद्रगोक्षुर : २६ क्षुद्रचञ्चुः ३३६ क्षुद्रचन्दनम् — रक्तचन्दनम् क्षुद्रचम्पकः -चम्पकः क्षुद्रचिर्भटा—गोपालकर्कटी क्षुद्रजातीफलम् — काष्ठधात्री क्षुद्रजीवा - जीवन्ती क्षुद्रतुलसी- कुठेरकः | क्षुद्रदंश :- मशक : | क्षुद्रदुरालभा — धन्वयासः क्षुद्रदुस्पर्शा - अग्निदमनी क्षुद्रधात्री — कर्कट : क्षद्रपत्र:- बृहत्पाली क्षुद्रपत्रा १५४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only क्षुद्रफला — अग्निदमनी क्षुद्रफला — ऐन्द्री क्षुद्रफला — कण्टकारी क्षुद्रफला - गोपालकर्कटी क्षुद्रभृङ्गारः - भ्रमरः क्षुद्रमक्षिका-मक्षिका क्षुद्रमत्स्यः - मत्स्यः | क्षुद्रमाता - कासनी | क्षुद्रमुत्पलम् १६६ | क्षुद्रमुस्ता- गुण्डकन्दः | क्षुद्रमुस्ता— जलमुस्तम् | क्षुद्रवर्षाभूः - पुनर्नवा क्षुद्रवली-मूलपोती क्षुद्रवार्ताकिनी - लक्ष्मणा | क्षुद्रवास्तुकी – पलाशलोहिता क्षुद्रशङ्खः -- क्षुल्लकः | क्षुद्रशणपुष्पिका—सूक्ष्मपुष्पा क्षुद्रशर्करिका – पावनाला क्षुदशामा कटभी | क्षुद्रशार्दूल:- :- शरभः क्षुद्रसहा—- ऐन्द्री क्षुद्रसहा—मुद्रपर्णी क्षुद्रसारसा: ४०६ | क्षुद्र सुवर्णम्-रीतिका क्षुद्रस्फोट:-संचार्यादयः | क्षुद्रस्फोटा - संचार्यादयः क्षुद्राम्रः क्षुद्रः | क्षुद्रा ४३१ | क्षुद्रा - कण्टकारी क्षुद्रा-क्षुद्रचञ्चुः क्षुद्राक्षुद्रोपोदकी क्षुद्राग्निमथनम् ४२१ क्षुद्राग्निमन्थः २८ 'क्षुद्रानिमन्थः ४२८
SR No.020593
Book TitleRajnighantu Ssahito Dhanvantariya Nighantu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarinarayan Aapte
PublisherAnandashram Mudranalay
Publication Year
Total Pages619
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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