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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरगजो अरणोद अरंगजो-(न०) शरीर में लेपन करने का अरजुरण-(न०) १. पाण्डु पुत्र अर्जुन । एकं सुगंधित द्रव्य । प्ररंगजा। २. सोना । ३. चाँदी। ४. बांस ५. अर्जुन अंरगती-(ना०) धातु को रगड़ कर उसे वृक्ष । छीलने का एक औजार । रेती। कानस। अरट-(न०) रहँट । प्रतरड़ी। __ अरटियो-(न०) १. सूत कातने का अरगतो-ब0 बड़ी अरगती। बड़ी कानस। चरखा । रहँटिया । २. एक डिंगल छंद । रेता। अरड़णो-(क्रि०) १. जोर से रोना । अरगनी--(ना०) कपड़े लटकाने-रखने की चिल्लाकर रोना। २. ऊंट का बलरस्सी, तार आदि साधन । बलाना। ३. धक्का मारकर धंसना । अरगळा-(ना०) अर्गला । प्रागळ । अरडाटो-(न०) १. चिल्लाकर रोने की अरगंज-(वि०) शत्रु को नाश करने वाला। आवाज । रोने की चिल्लाहट । २. ऊंट (ना०) रावळ मल्लिनाथ के पुत्र राठौड़ की बलबलाहट । ३. धक्का। वीर जगमाल की प्रसिद्ध तलवार का अरडींग-(वि०) १. जबरदस्त । २. शत्रनाम । जयी । अरगंजण-दे० प्ररिगंजण । अरडुमो-दे० अरडूसो। अरगाहण-दे० अरिगाहण । अरडूसो-(न०) एक पौधा । अडूसा । अरघणो-(क्रि०) १. अर्घ्य देना । २. पूजा अरडो-(न0) १. धक्का । टक्कर । करना । २. फैला हुआ । चौड़ा । उरड़ो। अरघियो-दे० अरघो। अरण-(न०) १. अरण्य । जंगल । अरघो-(न०) अर्घ देने का ताँबे का एक २. अरुण। सूर्य । पात्र । अर्घा । अरणव-(न०) १. समुद्र । २. सूर्य । अरचरणो--(कि०) पूजा करना । अर्चना। अरणी-(ना.) १. एक पौधा। २. अग्नि अरचा---'ना०) अर्चन । पूजा । मंथनात्मक वृक्ष । ३. उसकी लकड़ी। अरज-(ना.) १. अर्ज । प्रार्थना । अरणि । २. चौड़ाई। अरणी-छठ-(ना०) ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अरजक-(न०) शत्रु । छठ को किया जाने वाला स्त्रियों का एक परजदार-(वि०) अर्जदार । फरियादी। व्रत । अरणि षष्ठी या अरण्यषष्ठी। अरजबेगी- (वि०) अर्ज गुजारने वाला। अरणो- (न०) १. अररिण-वन । अरजळ-(ना०) १. कष्ट । तकलीफ । २. अरण्य । जंगल । ३. जोधपुर के निकट २. व्याकुलता । ३. बेहोशी । एक तीर्थ स्थान जहाँ कुड में स्नान करने (वि०). १. बेहोश । २. व्याकूल। का महात्म्य है। परणीजी। ३. घायल । अरणोजी-दे० अरणो सं० ३ मरजाऊ-(वि०) अर्ज करने वाला। अरणो-झरणो-(न०) मारवाड़ के छप्पन अर्जदार। के पहाड़ों में एक तीर्थ स्थान जहाँ एक अरजी-(ना०) अर्जी । प्रार्थना पत्र । भारने के नीचे जलकुड में स्नान करने अरजी दावो-(न०) १. दीवानी अदालत का महात्म्य है । अररिण-निझर । में किये जाने वाले दावे की मर्जी। अरणोद-(न०) १. प्राबू पर्वत पर सनअर्जीदावा। सैट के नीचे के पर्वत में एक तीर्थ स्थान For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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