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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नाथको मुद्रा। माइकियो ( ६७३ ) नाडकियो-न०) १. छोटा कच्चा तालाब । लानः । २. नहीं आने देना। __ नाडो । २. पानी भरा हुआ खड्डा । नाण-विनाण-(न०)ज्ञान-विज्ञान । नाडकी-दे० नाडी। नारणा-बजार-(न०) १. सराफी बाजार । नाडको-दे० नाडो। सराफा । २. जौहरी बाजार । नाडर-दे० निडर । नाणा-भीड़-(नाo) पैसे की तंगी। अर्थनाड़ा-छोड़-(न०) १. पिशाब । मूत्र । लघु संकट । शंका । २. पिशाब करने को जाने की नागो-(न०) १. धन । द्रव्य । २. रुपयाक्रिया। पैसा। ३. चलता सिक्का । प्रचलित नाड़ा-छोड़करणो-(मुहा०)पिशाब करना। नाड़ा-टाँकण-(ना०) वर्षा ऋतु में दक्षिण नातणो-(न०) अंगोछा । गमछा। पश्चिम की ओर से चलने वाली वर्षा नातर-(न०) १. रक्त प्रदर का रोग । २. अवरोधक वायु । नाडा टोकरण । रजस्राव । (प्रव्य०) नहीं तो। नाडा-टोकरण-दे० नाड़ा टांकरण । नातरात-(ना०)१. 'नातरो' की हुई स्त्री। नाडियो-दे० नाडकियो। २. पुनर्लग्न की हुई स्त्री । पुनर्विवाहिता। नाडी-(ना०) तलाई । बिना घाट का छोटा . नातरायत-दे० नातरात । नातराई-(वि०) १. जिस जाति में स्त्री का तालाब । पोखर । नाडकी। पुनर्लग्न या नाता हुअा हो। (उसका नाड़ी-(ना०) १. नस । २. नब्ज । नाड़ी। विशेषण) नातरात । २. जिस व्यक्ति ने ३. चमड़े की रस्सी । ४. रस्सी । (पुनर्विवाह) नाता किया हो या जो नातनाड़ी-तोड़-(वि०) १. जबरदस्त । २. बल रात का पुत्र हो (उसका विशेषण)। शाली । सेठो । ३. युवा। __ नातरो-(न०) १. विधवा स्त्री का (बिना नाड़ी धमण-(न०) लुहार । लग्न विधि के) दूसरा पति करने की एक नाड़ी-वैद-(न०) नाड़ी देखकर निदान तथा विधि । विधवा का दूसरा पति करना । चिकित्सा करने वाला वैद्य । २. विधवा स्त्री का पुनर्लग्न । नाडीव्रण-(न०) नासूर । नातो-(न०) १. संबंध । रिश्ता। २. दे० नाडो-(न०) छोटा कच्चा तालाब ।। नातरो। नाउकियो। नाथ-(न०) १. ईश्वर । २. श्रीकृष्ण । ३. नाड़ो-(न०) १. सूत का नारा । लहँगा मालिक । स्वामी । ४ पति । शौहर । आदि बांधने का फीता। इजारबंद । २. खाविंद । ५. राजा । ६. नाथ सम्प्रदाय । नवजात शिशु की नाल । आँवळ । जेरी। ७. संन्यासियों की एक उपाधि । संन्या३. चमड़े का रस्सा । सियों की दश उपाधियों में से एक । ८. नाड़ो-खोलणो-दे० नाड़ो-छोड़णो । गोरखपंथियों की एक उपाधि । ६. बैल नाड़ो-छोड़णो-(मुहा०) पिशाब करना । आदि पशुओं को वश में रखने के लिए मूतणो । उनके नाक में डाली जाने वाली रस्सी। नाढब-(वि०) १. बेतरतीब । २. अव्य- नाथ-अनाथ-(न०)अनाथों के नाथ। ईश्वर । वस्थित। नाथणो-(क्रि०)१. बैल आदि का नाक बींध नाण-(न०) ज्ञान । बोध । कर उसमें रस्सी डालना । नाथना। २. नाणणो-(क्रि०) १. (न+पाणणो] नहीं वश में करना । नाथना । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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