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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दानाघिसी (10) दिग्विजय दांताघिसी-दे० दाताकसी। दिखणाद-(ना०) दक्षिण दिशा। (अव्य०) दाँती-(न०) १. हाथीदांत. नारेली प्रादि की दक्षिण दिशा में। चूड़ियाँ बनाने वाला व्यक्ति । चूड़ीगर। दिखराादी-(वि०) दक्षिण की ओर का । चीरवियो। २. हाथीदांत की चूड़ियों का दक्षिणी । २. दक्षिणी । दक्षिण देश का। व्यवसाय करने वाला व्यक्ति । ३. माथे दिखरणादू-(वि०) दक्षिण दिशा का । के बालों में उत्पन्न गएँ और लीखों को (क्रि०वि०) दक्षिण में । निकालने के लिये कंघी के दांतों का धागे दिखणादो-दे० दिखणादी । से बांधने की क्रिया । ४. किसान का एक दिखगी-(वि०) १. दक्षिण का। दक्षिण औजार । संबंधी । दक्षिणी । २. दक्षिण देश का दाँतूर-दे० दाँतोर । निवासी । महाराष्ट्रीय । दक्षिणी । (ना०) दांतूसळ-(न०) १. हाथी का दाँत । २. दक्षिणी भाषा | मराठी भाषा । ऊपर नीचे के दांतों के परस्पर भिड जाने दिखणी-चीर-(न०) एक प्रकार का मूल्यका एक रोग । दांतोर । मुंह और दांत वान । प्रोढ़ना । दक्षिणी चीर । बंद हो जाने का एक रोग। दिखाऊ-(वि०) १. जो केवल देखने भर का दांतो-(न०) प्रारी आदि का दाँत । दाँता। हो । २. बनावटी । ऊप हो। २. बनावटी। ऊपरी । प्राडंबरी । दाँतोर-(न०) दांतों का एक रोग जिसमें __ दिखावटी । ३. कृत्रिम । नकली बनावटी। ऊपर नीचे के दाँत परस्पर मजबूती से दिखाणो-दे० देखावणो । दिखाव-दे० देखाव । भिड़ जाते हैं। दिखावट-(ना०) १. देखा जा सके वह । दाँयर-(ना०) प्रकार । तरह । २. बनावट । ३. ढोंग । प्राडम्बर । दाँवण-(ना०) खाट की बुनन में पायताने दिखावटी-दे० दिखाऊ। की अोर बुनन और उपले में लगी रहने दिखावड़ो-दे० देखावड़ो। वाली रस्सी। चारपाई के पैताने की दिखावरगो-दे० देवावरणो। रस्सी । वदामण । विदावरण । दिखावो-(न०) १. ऊपरी तड़क भड़क । दाँवणो दे० दामणो। आडंबर । २. दृश्य । ३. पाखंड । दिप्रग-दे० दियण। दिख्या-दे० दीक्षा। दिक-(वि०) हैरान । तंग । (ना०) दिशा। दिग-(ना०) दिशा । (न०) क्षय रोग। दिगमुढ़-(वि०) दिग्मूढ़ । चकित । छक । दिक्कत-(ना.) १. मुश्किली। कठिनाई। दिगंवर-(वि०) १. नंगा । अवस्त्र । (न0) हरकत । २. हैरानी । परेशानी । १. एक जैन संप्रदाय । २. नंगा रहने दिख-(न०) १. दक्षिण दिशा । २.दक्षिण वाला दिगम्बर का साधु । ३. महादेव । में स्थित देश । दक्खिन । दखन । ४. सिद्ध महात्मा । ३. मारवाड़ का दक्षिण प्रदेश । दिग्ध-(वि०) दीर्घ । डीघो। दिखणाण-(न०) १. दक्षिण दिशा । २. दिग्विजय-(ना०) देश देशान्तरों को दक्षिण देश। ३. दक्षिणायन । (वि०) जीतना। सभी दिशाओं में की जाने १. दक्षिण दिशा का। २. दाहिनी ओर वाली विजय । चारों दिशाओं में की का । जाने वाली जीत । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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