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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दग्गड़ दग्गड़ - ( न० ) पत्थर । दग्ध दे० दगध । www.kobatirth.org ( ५२० ) दढ - (वि०) हढ़ | मजबूत । विढ़। ( ना० ) दाढ़ । डा। दच्छ-दे० दक्ष । दरिणयर - दे० दियर । दच्छ कन्या - ( ना० ) शिवजी की पहली दरणी - ( ना० ) कमान । धनुष । पत्नी । सती । दछा- दे० दशा । दजोरण - ( न० ) दुर्योधन । दरगो- ( क्रि०) जलना । दग्ध होना । दटरगो - ( क्रि०) १. गड़ना । दफन होना । दवना । २. पाँव रोप कर खड़ा होना । भड़ना । धड़रणो । उटणो । दट्टो दे०डाटो । दड़ड़ - ( न०) १. पानी गिरने का शब्द | बड़बड़ । २. मेघ गर्जन का शब्द । दडदड़ - ( न० ) १. पानी गिरने का शब्द । २. सूत्रों का गिरना । टपटप । दडपणो - ( क्रि०) १. वस्त्र से प्राच्छादित करना । २. ढकना । दड़बड़ - ( ना० ) दौड़ने की आवाज । बो- (०) १. जमीन का ऊँचा भाग । २. टीबा । ३. श्रव्यवस्थित ढेर । ४. अनेक प्रकार की वस्तुओं का ढेर । ५. लोंदा । लूं दो । ६. बिना ढंग की बनी हुई कुरूप वस्तु । ७ कबूतरों व मुर्गियों का खुड्डा । दड़ाछंट - ( क्रि०वि०) १. दड़े की भाँति तेजी से भागता हुआ । उतावला भागता हुआ २. तेजी से । शीघ्रता से । दयिंद - ० ददि । ददि - ( न० ) सूर्य | सूरज । दिनकर । दिगियर । दड़ी - ( ना० ) १. चिथड़ों से बनाई हुई गेंद | दड़ी । २. छोटी गेंद | कंदुक । दीदोटो - ( न०) एक खेल । दड़ करणो - ( क्रि०) १. सौड़ का शब्द करना । २. भिना । दड़ो - ( न० ) १. गोलाकार वस्तु । पिंड | गोला । २. गेंद । ३. टीबा । टीला | धोरो । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दत - ( न० ) १. दत्तात्रेय । दत्त । २. दान । ३. दहेज । ४. भोजन । खुराक । ५. गाय-भैंस आदि पशुओं को दी जाने वाली घी, तेल, दाना आदि की खुराक । पशुओं (घास के अतिरिक्त) पौष्टिक खुराक । दतदायजो - ( न०) दहेज । बात । वायजो । दतब - ( न०) १. दान । दत्तव । २. खुराक । ३. पौष्टिक खुराक । दत्त - (०) १. दत्तात्रेय । २. पूर्व जन्म में किया हुआ दान | ( fa०) दिया हुआ । दत्तक - ( न० ) गोद लिया हुआ । खोळं । दत्तब - दे० दतब । दत्तात्रय - (०) महर्षि अत्रि तथा अनुसूया के पुत्र, जो अवतार माने जाते हैं । ददियो- ( न०) 'द' अक्षर । वहो । ददाम - दे० दमाम । ददामो- दे० दमामो । दद्दो- (न०) 'द' अक्षर | दध - ( न० ) १. दही । दधि । २. समुद्र । उदधि । ( ना० ) १. जलन । २. ईर्ष्या । डाह । ३. शत्रुता । ( वि० ) १. दग्ध । जलाया हुआ । २. पीड़ित । दुखित । ३. अशुभ । दधआखर - ( न० ) १. छंद शास्त्र के अनुसार छंद के प्रारम्भ में अथवा छंद की प्रत्येक पंक्ति के आरंभ में प्रयोग वर्जित अमुक अक्षर । कोई प्राठ (ख, घ, झ, ध, न, भ, र और ह) और कोई सत्रह अक्षर थ, प, फ, ब, भ, और ह ) प्रक्षरों को किन्हीं ने भ, म, र, प प्रक्षरों को ही अशुभ प्रशुभ वचन । ३. (झ, ट, ठ, ड, ढ, त, म, र, ल, व, ष दग्ध मानते हैं । और ह इन पांचों माना है । २. गाली । प्रपशब्द | For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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