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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कुरो (५२) ठुकावणो-(त्रि०) १. काम में लगाना। अनुमार बन जाना। ११. काम पर २. काम शुरू करवाना। ३. काम पर लगना । लगवाना। सपादन करवाना । काम को ढूब - (ना०) पीठ का टेढ़ापन । कूबड़ । पार लगवाने में सहायता करना । तज- दूबी-(वि०) कुबड़ी। वीज करना। ४. काम बनाना। ५ मन दो-(वि०) कुबड़ा। में जंचाना। ६. निकट ले जाना। ७. टूल-(न०) १. पक्षियों का झुड । पक्षी माप के अनुसार बिठा देना। समूह । २. दल । समूह । ढुगली-दे० ढिगली। दूळ-(न०) समूह । मुड । ढुगलो-दे० ढिगलो। दूळड़ी-दे० ढूली। इलियो-(न०) चबेना बेचने वालों का एक दुळगो-(क्रि०) १. ऊपर-नीचे या इधर __ माप-पात्र । पायलो। उधर होना, फिरना । २. वारा जाना । ठूली-(ना०) १. गुड़िया। २. दिल्ली। (चॅवर का)। चँवर का ढोला जाना । दिल्ली। ३. मोहित होना। ४. न्योछावर होना । ढलीपत-दे० ढिल्लीपत। ५. गिरना । फैलना । (पानी का) ६ गिर दलो-(वि०) १. भयभीत । डरा हुआ । २. कर बहना । बरतन में से पानी आदि द्रव डरपोक । ३. गावदी। नासमझ । ४. पदार्थ का गिरना। ७. प्रस्थान करना । पालसी। ५. स्त्रीजित । स्त्रण । ५. ८. मेहरबानी करना। नामर्द । (न0) ढूली का नर । गुड्डा । दुही-दे० दूही। दूसरी-दे० ढूसी। ढुहो-दुनो। ढूसी-(ना०) जुगार, बाजरी आदि के डंठलों ढूंढ-दे० ढूढ। का महीन चारा । घास की कुट्टी। कुतर। ढुंढराव-(न०) सिंह । शेर । दूही। दुढा-(ना०) हिरण्यकशिपु की बहिन । टूटी-दे० ढूसी। ढुंढाड़-दे० ढूंढाड़। ढूहो-(न०) १. ऊची जमीन । २. टीला । दुढाहड़-दे० ढूंढाड़। ढि राज-(न०) श्रीगणेश । ३. चूतड़ । नितंब । ४. किसी वस्तु का उठा हुआ भाग। ढंढो दे० ढूढो। दूंग-(न०) १. ढोंग । दंभ । २. नितंब । ढूई-दे० ढूही। ढूगरी-(ना०) घास की ढेरी । घास को टूकड़ो-(क्रि०वि०) नजदीक पास । निकट । चुन कर लगाई हुई ढेरी। नडो। कनै । नजीक । दंगारगो-दे० धूगारणो। दूकरणो-(क्रि०) १. बनना। सम्पन्न होना। दगी-(वि०) १. छद्मवेशी । २. ढोंगी। काम होना। २. लगना। प्रवृत होना। दभी। ३ पहुँचग। ४. प्रारंभ होना। ५. प्रारभ ढुंगो-न०) चूतड़ । नितंब । ढेको। करना । ६. संगति करना। साथ करना। ढूढ-(ना०) १. प्रथम होलिका दहन के समय ७. साथ होना। ८. अँचना। उचित . (रात को) गाँव के मुखिया और पुरोलगना । ६. निकट आना। संपक में हितों द्वारा नवजात शिशु को उसके घर पाना। १०. किसी वस्तु का माप के . जाकर एक लोक-काव्य द्वारा दिया जाने For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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