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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मधर्म । ३५) अधिकाणी अधर्म-दे० अधरम। अधसेरी-(ना०) आधे सेर का तौल । अधर्मी-दे० अधरमी। अधसेरो-(न०) प्राधे सेर का तौल । अधवच-दे० अधविच । अधंतर--(न०) १. आकाश । २. आधी अधवचलो-दे० अघ विचलो। दूरी । ३. मध्य । (वि०) १. ऊंचा। २. नीचा। अधवचाळ-दे० अधविचाळ । प्रधानो-(न०) १. प्राधा आना। २. आधे अधवधरो-(वि०) १. अपूर्ण । २. अधूरा। आने का सिक्का। ब्रिटिश काल के दो ३. अपरिपक्व । ४. कम बुद्धिवाला। पैसे का सिक्का । अधन्ना । कच्ची समझ वाला । ५. नासमझ। अधायो-(वि०) १. अतृप्त । २. भूखा । अधवराणो- (वि०) १. जो आधा पुराना अधार-(न०) प्राधार । सहारा । हो गया हो । न नया न बिल्कुल पुराना। अधारी-(ना०) साधुओं के हाथ के सहारे जो पूरा पुराना नहीं हुआ । २. अर्द्ध व्य का काठ का बना हुआ टेका। वहृत। प्रधवाली- (ना०) आधी पायली का अधार्मिक-(वि०) १. जो धर्मानुसार न हो । २. धर्म रहित । ३. धर्म के माप। (वि०) आधी पायली के माप विरुद्ध । का । आधी पायली जितना। अधि--(उप०) शब्द के पहले आने पर अधवावरियो-(वि०) १. आधा काम में ___ 'मुख्य', 'श्रेष्ठ', 'अधिक', 'ऊपर' इत्यादि लिया हुआ । २. आधा खर्चा हुआ। अर्थ बताने वाला उपसर्ग । अधविच-(न०) बीच । मध्य । अधबीच। अधिक-(वि०) १. ज्यादा । विशेष । (क्रि० वि०) बीच में। बहुत । २. फालतू । अतिरिक्त । (न०) अधविचलो-(वि०) १. बीच का । एक काव्यालंकार । २. आधी दूरी का। अधिकतम-(वि०) सबसे अधिक । अधविचाळ - (अव्य०) १. बीच में । अध- मैक्सिमम ।। बिच में। (वि०) बीच में रुका हुआ। अधिकतर-(क्रि० वि०) १. दूसरे की ३. बीच में लटका हुआ। अपेक्षा अधिक । तुलना में अधिक । अधवीच-(न०) किसी विस्तार या लंबाई २. आधे से अधिक । ३. प्रायः। अकका मध्य भाग। सर । बहुत बार । अधवीटो-(वि०) १. अर्द्ध वेष्टित । अधिकता-(ना०) बहुतायत । प्राधिक्य । २. अधूरा किया हुआ । अधूरा छोड़ा अधिक मास-(न०)मलमास । लौंद का हा । असमाप्त । अपूर्ण। महीना । पुरुषोत्तम मास । अधसीजो-(वि०) १. आधा सिका हुआ। अधिकरण-(न०) १. आधार । सहारा । २. आधा सीजा हुआ। ३. प्राधा पका २. क्रिया के आधार का बोधक सातवां हुमा । ४. अपक्व । ___ कारक (व्या०) ३. प्रकरण । ४. न्यायाप्रधसूको-(वि०) प्राधा सूखा और आधा लय । ५. विभाग । महकमा । गीला । जिसमें थोड़ी नमी है। जो पूरा अधिकाई-(ना०) १. अधिकता। विशेषता। शुष्क नहीं हुआ है। २. विलक्षणता । ३. महिमा । गौरव । अधसेर-(०) आधा सेर का तौल। अधिकारणी-(क्रि० वि०) ज्यादातर । (वि०) जो तौल में प्राधा सेर हो। बहुधा । घणो करने । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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