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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रधनो पदोड़ी प्रदोड़ी-(न०) मरे हुए गाय, बैल का अधकंठ-(ना०) गले की रक्षार्थ पहनी साफ किया हुआ आधा चमड़ा । प्रधोड़ी। जाने वाली लोहे की एक जाली । अदोळी-दे० अधोळी । ___ कंठत्रारण। अद्ध-(वि०) प्राधा। अधकाचो-(वि०) अधकच्चा । अपरिअद्धो--(वि०) आधा । (ना०) आधी पक्व । बोतल। अधकायो-(वि०) जिसमें आधी दूसरी अद्भ त-(वि०) १. चकित कर देनेवाला। धातु मिली हो ( सोना या चांदी )। २. विचित्र । (न०) आश्चर्य । प्रधखायो। अद्यावधि-(क्रि०वि०) १. आजतक । अधकालो-(वि०) १. प्राधापागल । अर्द्ध २. अभीतक । विक्षिप्त । २. मूर्ख । अद्रक-(न०) १. हरी, ताजी सोंठ । अधकिचरियो-दे० अधकचरियो । __ अदरक । प्रादो। २. भय । अधकिचरो–दे० अधकचरो। अद्रि--(न०) १. पर्वत । २. वृक्ष । अधकेरो-(वि) १. तुलना में अधिक । अद्रिजा--(ना०) पार्वती । गिरिजा। २. आवे के आसपास । अद्वितीय-(वि०) जिसके समान दूसरा न अधकोस-(न०) प्राधाकोस । एकमील । हो । अनुपम । (न0) परब्रह्म। प्रधगाऊ। अद्वैत-(वि०) द्वत रहित । भेदरहित । अधखड़-(वि०) १. प्रौढ़ । अधेड़ । अद्वैतवाद-(न०) जीव और ईश्वर की २. आधा जोता हुआ । आधा खड़ा हुआ तथा जड़ और चेतन की एकता का (खेत) । वैदिक सिद्धान्त । वह सिद्धान्त जिसके अधखायो--(वि०) आधा खाया हुआ । अनुसार यह संसार मिथ्या है और सकल थोड़ा खाया हुआ। आधा पेट । दे० विश्व की उत्पत्ति ब्रह्म से ही है। जीव अधकायो । और ब्रह्म की एकता का तथा जगत अधखिरण-(न०)१. प्राधा क्षण । (वि०) मिथ्या और ब्रह्म सत्य का वेदान्तमत । २. प्राधा खोदा हुआ। अधखुलो-(वि०) आधा खुला हुआ। अध-(वि०) प्राधा । (अव्य०) नीचे । अधगहलो-दे० अधकालो। तले । हैठे। अधानो-(न०) दो पैसों का सिक्का । अधगाळ -(अव्य०) अधबिच में। बीच में । प्राधे गाळे । अघना । (स्वराज्य पहले का)। अधकचरियो-(वि०) १. पूरा कुटा-पीसा अधगावळो-(वि०)१. अशक्त । कमजोर । २. अंगहीन । नहीं । दरवरो । २. अधुरा । अधगैलो-दे० अधगहलो । अधकचरो-दे० अधकचरियो । प्रधघड़ी-(ना०) १. आधी घड़ी । अधकच्चो-दे० अधकाचो। २. थोड़ी बार। अधकरण–दे० अधकर। अधड़-(न०) १. शत्रु । २. राहु । अधकपाळी-(ना०) आधे सिर की पीड़ा। अधन्नी-(ना०) आध आने का सिक्का । आधासीसी । सूर्यावर्त । प्राधानी। अधकर-(वि०) पूरे की तुलना में परि- अधन्नो-(न०) आध आने का सिक्का । मारण में प्राधा । माधो। प्राधो मानो। प्राधानो। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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