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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( Yue i ट-संस्कृत भाषा परिवार की राजस्थानी टकसाळी बंध-(वि०) ठीक और पक्का । वर्णमाला की तीसरी व्यंजन आम्नाय के खरा । टवर्ग का मूर्धास्थानीय प्रथम वर्ण। टकसाळी-बात-(ना०) १. पक्की बात । टक-(ना०) बिना पलक गिराये एक ही ओर २. सच्ची बात । देखते रहो का भाव । २. स्थिर दृष्टि । टकसाळी-बोली-(ना०) १. शिष्टभाषा । यथा-एक टक देखणो । ३. टकराने का २. व्याकरण-सम्मत भाषा । साहित्य की शब्द । दे० टंक सं०३ से६ । भाषा। ३. शिष्ट समाज की भाषा । ४. सर्व सम्मत भाषा। टकटक-(प्रव्य०) घड़ी आदि के चलने का टकसाळी-भाषा-दे० टकसाळी-बोली। शब्द । टकटको-(ना०) स्थिर दृष्टि । निनिमेष टका-(मा०)धन-सम्पत्ति । रुपया-पैसा । टकाऊ-दे० टिकाऊ । दृष्टि । टकणेत-(वि०) पांव पीछे नहीं देने वाला टका भर-दे० टके भर। वीर । बहादुर । (न०) वीर पुरुष । टकार-(न०) 'ट' वर्ण । रहो। टकरणो-दे० टिकणो। टकाव-दे० टिकाव । टकरणो-(कि०) टकराना । टकरा जाना । टके भर-(अध्य०) बहुत थोड़ा। टको-(न०) १. टका । पैसा । २. दो पैसे । टकरागो-(क्रि०) १. टक्कर लगना । जोर ३. दो पैसों का एक सिक्का । अधन्ना । से भिड़ना । २. ठोकर लग जाना । ३. ४. रुपया-पैसा । नागो। ५. कर। सामने से आने वाले का मिलाप होना। महसूल । अकस्मात रास्ते में मिल जाना । ४. टकोर-(ना०) १. व्यंगपूर्ण बात । व्यंग्य । हिसाब या लेन-देन का परस्पर मिलान ताना। २.वक्रोक्ति । ३. प्राघात । चोट । करना । ५. मारे मारे फिरना। ४. टकोरे का शरद । झंकार । टकराव-(न०) टकराने या भिड़ने की टकोरो-(10) १. टकोरा । घड़ियाळ । स्थिति। घंटा । भलरी । मालर । २. टकोरे की टकरावणो-(क्रि०) टकरायो। झंकार। टकरीजणो-(क्रि०) १. जोर से भिड़ना। टक्कर-(न०) १. मुकाबला। २. भिड़न्त । टकराना। २. ठोकर लग जाना। ३. ३. धक्का । ४. ठोकर । ५. चोट । मार्ग में सामने से मिलाप हो जाना। प्रहार । ६. हानि । घाटा। प्रकस्मात मागे म मिल जाना। टक्कर खागो-(मुहा०) मुकाबला हाना। टकसाळ-(ना०) सिक्कों के ढलने या मुद्रित टक्कर लेगो-(मुहा०) मुकाबला करना। होने का स्थान । टकसाल । टकसाल । टखणो-नि0) एडी के ऊपर की उभरी टकसाळी-(वि०) १. प्रामाणिक । खरा। हई हड्डी । टखना। २. टकसाल में बना हुमा। टग-(न०) १. पटकन । रोक । २. सहारा। टकसाळी.खबर-(ना०) पके समाचार । ३. हठ । दुराग्रह । जिद । ४. किनारा । पुख्ती खबर । ५. पैड़ी। For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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