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जोड़ .. (४५६ )
जोधपुर जोड़ी हो । (वि०) १. भागीदार । २. की पट्टी। जुमाठे से बंधी हुई रस्सी या साथ काम करने वाला।
तसमास
तसमा जिससे बैल की गरदन को जुमाठे जोड़े-(वि०) सदृश । तुलना। बराबर। से बांधा जाता है। मोतो। जोत। २. (कि०वि०) १. निकट । नजदीक । २. जुताई। ३. प्रासामी को जोतने के लिये साथ में (न०) १.तुलना । सादृश्य। समता। दी गई भूमि ।। २. साथ । संग।
जोतरणो-दे० जोतरणो । जोडो-(न०) १. छोटा कच्चा तालाब । जोतलिंग-(न०) १. ज्योतिलिंग। २. शिव
नाो । पोखरा । २. बगैर बंधा हुआ कच्चा के मुख्य बारह लिंग। द्वादश ज्योतिलिंग। कुमा। द्रह बहा। बड़।
शिव । जोड़ो-(न०)वो एक सी वस्तुएँ । एक प्राकार- जोतवंत-(वि०) ज्योतिवाला। (न0) धी। प्रकार के दो पदार्थ । २. नर और मादा घृत । का युग्म । ३. स्त्री और पुरुष का युग्म । जोतवान-(वि०) ज्योतिवाला । पति और पत्नी । दंपति । ४. समानता। जोतसरूप-(न०) ज्योति स्वरूप । परब्रह्म । बराबरी । मुकाबला । ५. दोनों पांवों के परमात्मा । जूते । जूती-जोड़ा । पगरखा। खासड़ा। जोतसिखा-(ना०) १. दीपक । २. ज्योति
बाहड़ा । (वि०) वह जो बराबर हो। शिखा । जोढ-दे० जोध ।
जोतसी-(न०) ज्योतिषी। जोणो-(क्रि०) १. देखना । ताकना। २. जोतंबळ-(न०) पानी । जल । ढूंढ़ना। तलाश करना । ३.प्रतीक्षा करना। जोताई-(ना०) १. जोतने का काम । २. राह देखना।
जोतने की मजदूरी। जोत-(न०)१.वह तसमा जिससे बैलगाड़ी का जोतिस-(न०) ज्योतिष । जूमा बैल की गरदन पर रख कर बांधा जोतिसरूप-(न०) ज्योतिस्वरूप । परब्रह्म । जाता है। (ना०) २. परब्रह्म । ज्योति परमात्मा । स्वरूप । ३. ज्योति । रोशनी । ४.धी जोती-दे० जोत २ से ८. का दीपक जो देवी-देवता के आगे जलाया जोतीगर-(न०) १. ज्योतिकर । सूर्य । २. जाता है। देव-दीपक । देवमंदिर का दोपक। चन्द्रमा । ५.दृष्टि । नजर । ६.दीया । दीपक। ७. जोध-(न०) १. पुत्र । २. योद्धा । शूरवीर । दीये की लौ । ८. प्राँख । नेत्र । ६.प्राण। (वि०) युवा । जवान । जोतख-दे० ज्योतिष ।
जोध-जड़ाग-(वि०) अत्यधिक जोरावर । जोतखी-दे० जोतसी।
जोध-जवान-(वि०) १. पूर्ण यौवनशाली। जोतनो-(क्रि०) १. बैल, घोड़े प्रादि को पूर्ण युवक । २. मजबूत । दृढ़। कद्दावर ।
गाड़ी, हल मादि से संलग्न करना । जोतना। ३. बलशाली। शक्तिशाली । २. वाहन या सवारी तैयार करना । ३. जोधपुर-(न०) स्वतंत्र भारत के राजस्थान . काम में लगाना । ४. बेगार में लगाना। राज्य के अंतर्गत भूतपूर्व मारवाड़ राज्य जोतबळ-३० जोतंबळ ।
की राजधानी का नगर । इसे राव जोधा जोतर- (न०) बैलों को गाड़ी प्रादि में जोत ने वि. सं. १५१५ की जेठ सुदि ११ शनि
ने के लिये गले में डाली जाने वाली चमड़े बार को बसाया था।
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