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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - डंडा, जिससे कैंटीली झाड़ियां हटाई जेहवी-(वि०) जैसी। जिस प्रकार की। जाती हैं। बेई । जेरी। जेवड़-(ना०) रस्सा । रज्जु । जेहवो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का । जेवड़ी-(वि०) जैसी । (ना०) रस्सी । डोरी। जड़ो। जिसो । जेवड़ो-(न०) डोर । रस्सा । (वि०) जेहि-(सर्व०) जिस । (क्रि०वि०) जैसे । जैसा। जिस प्रकार का । ज्यों । ज्यु। जेवर-(न०) गहना । प्राभूषण। जेही-(वि०) जैसी । जड़ी। जेवरलो-(वि०) १. विरल। थोड़ा। २. जेहो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का । कोई-कोई । बहुत में से कोई । (क्रि०वि०) जड़ो। जिसो। कहीं-कहीं। जै-दे० जय । जेवलो-दे० जेळी। जैकार-(न0) जय घोष । जयकार । जयजेसळ-(ना०) जेसल मामक प्रसिद्ध भाटी जय कार । राजा जिसने वि० सं० १२१२ सावन जै गोपालळजी री-दे० जै रामजी री । शु० १२ को जैसलमेर नगर और उसके जै जैकार-(प्रव्य०) १. जय जयकार । २. पास की पहाड़ी पर किले का निर्माण जय जय शब्द का उच्चारण । विजय करवाया। ध्वनि । जयघोष । ३. विजय की जेसळगिर-(न०) जैसलमेर का पहाड़ और प्रसन्नता का घोष । उस पर बना हुआ किला। २. जैसलमेर जैड़-(क्रि०वि०) १. जब तक । जठा ताई। नगर। २. तब तक । जताई। जेसळमेर-३० जैसलमेर। जैड़ो-(वि०) जैसा । जिसो । जेसाण-(न०) १. जैसलमेर नगर । २. जैत-(ना०)जीत । विजय । (वि०)विजयी । जैसलमेर राज्य । जैतखंभ-(न०) १. विजय स्तम्भ । जयजेसारणो-दे० जेसाण। स्तम्भ । २. विजय प्राप्त करने वालों में जेह-(ना०) १. किनारा । अंतिम सिरा। प्रमुख वीर । ३. युद्ध विजयी वीर पुरुष । किसी वस्तु का अंतिम भाः। २. दीवार जैतवादी-(वि०) १. सदा विजय प्राप्त की चुनाई में इंटों की एक ऐसी तह जो करने वाला । २. युद्ध विजयी । दीवाल के पोसार से कुछ बाहर निकली जैतवार-(वि०) विजयी। जीतने वाला । हुई होती है। ३. दीवाल के ऊपरी भाग (ना०) १. भलाई । २. लाभ । ३. लाभमें सामान रखने के लिये लगाया जाने का काम । जीत का काम । ४. विजयोवाला पत्थर । टर। ताक । ४. डोरी। त्सव । ५. विजयवेला । ६. विजय । रस्सी । ५. प्रत्यंचा । (क्रि०वि०) जैसा। जैतहथ-(वि०) विजयी । जैताई-(वि०) जीतने वाला। विजयी । जेहड़ी-(वि०) जैसी। जिस प्रकार की। जैत्र-(ना०) विजय । जीत । बैड़ी। जिसी। जैत्राई-दे० जताई। जेहड़ो-(वि०) जैसा। जिस प्रकार का। जैन-(न०) १. जैन धर्म । २. जिन का बड़ो। जिसो। उपासक । ३. जैनधर्म का पालन करने जेहर-(ना०) पैर का एक गहना । पाजेब । वाला । श्रावक । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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