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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जोगड़ियो । ४४४ ) जिगं वाला व्यक्ति। ३. जंग में वीरता की जाँदा पड़णो-(मुहा०) १. मन की मन में प्रशस्तियाँ गाकर वीरों को प्रोत्साहन देने . ही रहना। मन की पूरी न होना । २. वाला गायक । ४. ढोली ।। ५. ढाढ़ी। कष्ट भुगतना। तकलीफ उठाना । ३. ६. योद्धा । (वि०) वीर । बहादुर । वियोग पड़ना। ४. इच्छा पूरी नहीं जाँगड़ियो-दे० जांगड़। होना । ५. कमी होना। जाँगड़ो-(न०) डिंगल का एक छंद। जाँबाज-(वि०) १.मात्मबली । २.जवां मर्द । दे० जांगड़ । जाँबाजी-(ना०) जान की बाजी। आत्म जाँगळ -(न०) राजस्थान में बीकानेर जिले बलिदान । २. जवां मर्दी। का एक प्रदेश। जांबू-(न०) १. सौराष्ट्र का लींबड़ी प्रदेश । जाँगी-(न०) १. नगारा। २. बड़ा ढोल। २. जंबूफल । जामुन । ३. रण वाद्य । ४. छोटी हर की एक जाँबो-दे० जांभो। किस्म । ५. छोटी किस्म की हरें। जाँभेल(न०) तारामीरा का तेल । जाबो जाँगी हरड़े-(ना०) एक प्रकार की छोटी तेल । हरें। हीमज । जाँभो-(न०)सरसों की जाति का पर सरसों जाँघ-(ना०) जंघा । साथळ । से अधिक तीखा और कड़ा तिलहन । जाँघियो-(न०) १. तंग मोहरी का घुटनों तारामीरा। तक का एक पजामा । कच्छा । जांघिया। जाँभोजी-(न०) पीपासर (राजस्थान) में २. पजामा। जन्मे विसनोई (जाति) संप्रदाय के प्रवर्तक जांच-(ना०) १. देखभाल। निरीक्षण। एक सिद्ध पुरुष ।। २. परख । परीक्षा । ३. खोज । जांभो तेल-(न०) तारामीरा का तेल । जाँचरणो-(क्रि०) १. जाँचना । तपासना। जांभेल । २. परखना । परीक्षा करना। जाँवरण-(न०) जामन । जावन । जामरण । जांझर-(न०) स्त्रियों के पैरों में पहनने का । जाँवळणो-दे० जामळणो । बारीक घूघरूदार एक गहना । झांझर । जिकरण-(सर्व०) 'जिको' का वह रूप जो जाँझरके-(प्रव्य०) प्रातःकाल में। प्रभात उसे विभक्ति लगने के पहिले प्राप्त होता वेला में। है। जिस । (वि०) जिस । जांझरको-(न०) प्रातःकाल । प्रभात । जिकर-(न०) १. जिक्र । चर्चा । बातचीत । उषाकाल । झिकर । २. कथन । जाँझरिया-(न०ब०व०) बच्चे के पांवों में जिका-(सर्व०) वह । पहनने की छोटी जांझर जोड़ी। जिका-((सर्वव०व०)१.जिन्हें । २.जिन्होंने । जाँट-(ना०) शमीवृक्ष । खेजड़ी। ३. जिन । ४. उन । जाँतरो-(न०) तार को खींच कर पतला जिकाँरै-(सर्व०ब०व०) जिनके । जिणार । बनाने का एक यंत्र । तार पट्टी। जिकाँरो-(वि०ब०व०) जिनका । जाँदा-(नम्ब०व०) १. कष्ट । तकलीफ। जिकी-(सर्व०) वह । (वि०) जो । २. वियोग । जुदाई। ३. दूरी । भेद। जिके-(सर्व०) १. जिस । २. उस । ३. जो । अंतर । ४. लालसा। ५. अभिलाषा। जिको-(सर्व०) वह । (वि०) जो। तीव्र इच्छा। जिग-(न०) यज्ञ । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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