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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १ ) जगत्र-(न०) १. जगत । संसार । २. जग. जगभाळरण-(ना०) १. प्रख । नेत्र । त्रय । त्रिलोक । ३. यज्ञ । ४. यज्ञमंडप । २. सूर्य । जगदंबा-(ना.) १. जगज्जननी। जगत जगमग-(न०) प्रकाश । चमक । (वि०) की माता । २. महामाया । ३. दुर्गा ।। प्रकाशमान । चमकीला । जगदाधार-(न०) ईश्वर । जगमगरगो-(क्रि०) चमकना । जगमगना। जग-दिवलो-(न०) सूर्य । जगमगाट-(ना0) चमक । जगमगाहट । जगदीश-(न०) ईश्वर । जगमिण-(न0) जगद्मणि । सूर्य । जगदीश्वर-(न०) परमात्मा । परमेश्वर । जगमोहन-(न०) १. ईश्वर । २. देवमंदिर जगदीश्वरी-(ना०) १. महामाया। जग- में गर्भगृह के सामने का स्थान । दीश्वरी । २. दुर्गा ।। जगर-(न०) १. कवच । २. अधिकार । जगदीस-(10) जगदीश । ईश्वर । वश। जगदीसर-दे० जगदीस। जगरै प्रावणो-(मुहा०) घोड़ी का ऋतु में जगदीसरी-(ना०) जगदीश्वरी। दुर्गा ।। प्रामा । घोड़ी को कामेच्छा होना । जाग . महामाया। में प्राणो । जगदुप्राळ-(न०) १. जगड्वाल । व्यर्थ का जगरो-(न०) १. शीघ्र जल उठने वाली आडम्बर । २. माया । संसार का प्रपंच। पतली टहनियों और घास आदि की जगधरणी-दे० जगदीस । छोटी राणि । शीत मिटाने के उद्देश्य से जगन-(न०) १. यज्ञ । २. महाभोज । ब्रह्म जलाने के निमित्त इस प्रकार का इकट्ठा भोज । ३. बड़ा काम । कीत्ति काम ।। किया हुआ कचरा । तृणपुज । २. घोड़ी जगनाथ-(न०) १. जगन्नाथ । परमेश्वर । का ऋतु समय । घोड़ी की कामेच्छा । २. उड़ीसा की जगन्नाथपुरी का श्रीकृष्ण जाग। का अपूर्ण दारु-विग्रह । श्री जगन्नाथपुरी जगवंद-(न०)१. जगवंदनीय । २. परमात्मा। की श्रीकृष्ण (सुभद्रा और बलभद्र के । जगवंदण-दे० जगवंद । साथ) की अर्धपूर्ण (असंपूर्ण) काष्ठमूर्ति। जगवासग-(न०) १. जगत को बसाने वाला ३. चार दिशाओं के चार धामों में पूर्व व पोषण करने वाला ईश्वर । २. जो दिशा का जगन्नाथ धाम । जशदीशपुरी । जगत में व्यापक है वह । ३. जिसके जगनाथी-(ना०) १. एक वस्त्र । २. एक । अंदर जगत बसा हुआ है वह । परमात्मा। जलपात्र। परब्रह्म। जगनामो-(न०) १. सत्कों द्वारा संसार जगवै-(न०) जगपति । ईश्वर । में रह जाने वाला अमर नाम । २. जग जगसाखी-(न०) सूर्य । जगत्साक्षी । यश । जगकीर्ति । ३. जगप्रसिद्धि । विश्वख्याति । जगहथ-(न0) समस्त जगत को विजय कर जगनण-(न०) सूर्य । अपने हाथ (अधिकार) में करने का जगन्नाथ-दे० जगनाथ । काम । जगद्विजय । दिग्विजय । जगपड़-(न०) १. पृथ्वीतल । जगतीतल। जगा-(ना०) १. स्थान । स्थल । जगह । २. पृथ्वी। जमीन । २. खाली स्थान । ३. मकान । ४. जगप्राण-दे० जगतप्राण । नौकरी । ५. पद । ओहदा । For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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