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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घडाळ छड़ाळ-(न०)भाला । (वि०) भाले वाला। छात । पाटन । ५. होने का भाव । बचने भालाधारी। का भाव । बचत । ६. वृद्धि । ७. बहुताछड़ाळो-दे० छड़ाळ । यत । अधिकता। ८. घाव । क्षत । ६. छड़ियाळ-दे० छड़ाळ । दुख । दर्द। छड़ी-(ना०) १. हाथ में रखने की लकड़ी। छतर-(न०) मंदिर में देवता के ऊपर टंगा बेंत । २. देवमंदिर, राज दरबार, महंत रहने वाला सोने या चाँदी का छत्र । और धर्माचार्यों के चोबदार के पास रहने छतरड़ी-(ना०)१. छोटा छाता। २. छाता। वाला सोने या चांदी से मँढा हा एक छतरड़ो-(न०) छाता। लम्बा डंड । राजदंड । ३. झंझट । छतरधारी-(न०) छत्रधारी । राजा। । विवाद । छतरी-(ना०) १. जूझार और राजा की छड़ीझल-दे० छड़ीदार । चिता पर एवं साधु-महात्मा की समाधि छड़ीझाल-दे० छड़ीदार। पर बनाया जाने वाला एक प्रकार का छड़ीदार-(न०) छड़ी रखने वाला। छड़ी स्मारक भवन । गुमटी। २. छाता । बरदार । चोमवार । ३. कुकुरमुत्ता। छड़ी बरदार-दे० छड़ीदार । छताँ-(प्रव्य०) १. फिर भी। तो भी । २. छड़ीहथो-दे० छड़ीदार । ऐसा होने पर भी । ३. इसके उपरान्त । छड़ींदो-(वि०) १. अकेला । एकाकी । २. ४. होते हुये। खाली हाथ । सामान या बोझा के बिना। छती-(ना०) पृथ्वी । छरीदा । (यात्री)। छतीस-(वि०) तीस और छः । (न०) छतीस छडो-(न०) १. पांव का एक गहना । २. की संख्या। ३६ । ___ मोतियों का झुमका । (वि०) अकेला । छतीस पवन-(न०) चारों वर्ण और उनके छड्डुणो-दे० छंडणो। अंतर्गत आने वाली समस्त जातियाँ । २. छण-दे० क्षण। समस्त मानव समाज । छरणक-(न0) छन-छन का शब्द । छनक । छतीसी-(ना०) छत्तीस छंदों का काव्य । छनछनाट। छणको-दे० छणक । छतीसो-छत्तीसवाँ सम्वत् । छणग-(0) उपला । कंडा । छाणो। छतै-(अव्य०) १. होते हुये । होता था। छणरणो-क्रि०) छनना । . २. रहते हुये । रहतां थकां । ३. मौजूदगी छणदा-(ना०) रात्रि । रात । क्षणदा । में । छणाई-(ना०) १. छानने का काम । २. छता-(वि०) १. प्रत्यक्ष । प्रकर । २. छानने की मजदूरी। प्रसिद्ध । (अव्य०) १. फिर भी। तो छरणारी-दे० छाणेरी। भी । २. होता हुआ । ३. ही । : .. छरणावट-(ना.) १. तपास । जांच । २. छत्त-(ना०) दुराग्रह । हठ । दे० छत । छानने की क्रिया। छत्ती-(ना०) छाती। छरगावणो-(क्रि०) छनवाना । छत्तीस-दे० छतीस। छणियारो-दे० छाणेरो। छत्तीसो-दे० छतीसो। छत-(न०) १. देवी देवता के ऊपर रहने छत्र-(न०) १. देव मूर्तियों के ऊपर टंगा वाला छत्र । २. राज्य । ३. राजा। ४. रहने वाला सोने या चांदी का बना छाते For Private and Personal Use Only
SR No.020590
Book TitleRajasthani Hindi Shabdakosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya, Bhupatiram Sakariya
PublisherPanchshil Prakashan
Publication Year1993
Total Pages723
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size12 MB
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